सबके दिलों में आज भी जिंदा है ‘शेरशाह’

By: Jul 8th, 2017 12:01 am

पालमपुर में शहीदी दिवस पर कै. विक्रम बतरा की बहादुरी को सलाम

पालमपुर – कारगिल युद्ध में दुश्मनों के लिए मौत का पर्याय बने परमवीर चक्र विजेता कै. विक्रम बतरा को शहादत दिवस पर याद किया गया। शहीद कै. बतरा के पिता गिरधारी लाल बतरा और माता कमलकांता बतरा ने पालमपुर में स्थापित अपने वीर बेटे की प्रतिमा पर श्रद्धासुमन अर्पित किए। कारगिल युद्ध में कै. बतरा का दुश्मनों में इतना खौफ  बन गया था कि उनको ‘शेरशाह’ नाम दिया गया था। पालमपुर में कालेज का नामकरण कै. बतरा के नाम पर किया गया है, तो प्रगति मैदान भी कै. बतरा को समर्पित है। नौ सितंबर, 1974 को जन्मे विक्रम बतरा ने कारगिल युद्ध के दौरान दो महत्त्वपूर्ण चोटियों पर कब्जा करने के बाद सात जुलाई, 1999 को वीरगति पाई थी। युद्ध के मैदान में कै. बतरा द्वारा किया गया ‘यह दिल मांगे मोर‘ का उद्घोष देश के युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन चुका है। कै. विक्रम बतरा के नाम पर कॉमिक बुक्स बाजार में आ चुकी हैं, तो बीते दिनों उनके पिता गिरधारी लाल बतरा ने भी ‘परमवीर चक्र विक्रम बतरा शेरशाह ऑफ कारगिल’ शीर्षक से अंग्रेजी में लिखी पुस्तक के द्वारा भारत माता के वीर सपूत को श्रद्धांजलि दी है। कै. बतरा के माता-पिता के साथ इन्नर व्हील क्लब की सदस्यों ने भी देश के सपूत को श्रद्धासुमन अर्पित किए।

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