सुरक्षा व्यवस्था में सेंध

By: Jul 12th, 2017 12:02 am

(राजेश कुमार चौहान, सुजानपुर टिहरा )

सोमवार की शाम जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में अमरनाथ यात्रियों पर एक आतंकी हमला हुआ, जिसमें सात श्रद्धालुओं की मौत हो गई और 19 यात्री घायल हो गए। इसके बाद से देश में राजनीतिक पार्टियों द्वारा हमले की ‘कड़ी निंदा’ करने का सिलसिला शुरू हो गया है। इस निंदा के आखिर मायने क्या हैं? क्या निंदा मात्र से उस क्षति की भरपाई हो जाएगी, जो अनंतनाग हमले में हुई है। बार-बार मीडिया द्वारा बताया जा रहा था कि अमरनाथ यात्रा पर आतंकवाद की काली छाया मंडरा रही है। अगर सत्ताधारियों ने इस पर गंभीरता दिखाई होती, तो शायद यह काला दिन अमरनाथ यात्रा करने वाले उन लोगों के परिवारों के लिए नहीं आता, जिन्होंने इस आतंकवादी हमले में जान गंवाई। अमरनाथ यात्रियों पर आतंकवादी हमला इनसानियत के खिलाफ है। लेकिन इस हमले से सरकार की सुरक्षा नीति की खामियां भी उजागर हुई हैं। जब सरकारों को, चाहे वह केंद्र की हो या राज्य की, इस बात की जानकारी थी कि नापाक पाक और आतंकवाद अपनी कायराना हरकतों से बाज नहीं आने वाले, तो अमरनाथ यात्रियों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम क्यों नहीं किए। केंद्र सरकार भी आतंकवाद को लेकर बड़ी-बड़ी बातें करती है, लेकिन यह भी आतंकवाद पर नकेल कसने में लगभग नाकाम ही दिख रही है।

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