इसलिए ज्यादा देर तक नहीं टिक पातीं सड़कें

By: Aug 18th, 2017 12:20 am

निर्माण से पहले नहीं होता भू-गर्भीय सर्वे, संवेदनशील प्रदेश में पीडब्ल्यूडी की बड़ी चूक

NEWSशिमला— हिमाचल में सड़क निर्माण से पहले न तो प्रदेश का लोक निर्माण विभाग भू-गर्भीय सर्वेक्षण करवाता है और न ही जियो टेक्निकल सर्वे रिपोर्ट्स तैयार होती हैं। मसलन जिस क्षेत्र में सड़क निर्माण किया जाना है, वहां की भू-गर्भीय संरचना या स्थिति कैसी है, पहाड़ों की संरचना तक का सर्वे नहीं होता। मात्र विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार कर काम शुरू कर दिया जाता है। कच्चे पहाड़ों को डाइनामाइट्स से उड़ा दिया जाता है, जिससे दिक्कतें और बढ़ती हैं। प्रदेश में विश्व बैंक द्वारा प्रायोजित सड़कों के निर्माण से पहले ही जियो टेक्निकल सर्वे रिपोर्ट्स तैयार होती है। यही नहीं, विश्व बैंक ने यह भी लाजिमी कर रखा है कि प्रोजेक्ट रिपोर्ट के साथ ही एन्वायरनमेंट मैनेजमेंट प्लान व एन्वायरनमेंट इम्पैक्ट असेस्मेंट रिपोर्ट भी पेश की जाए। कीरतपुर से मनाली तक शिवालिक जोन है। इस पूरे इलाके के पहाड़ विशेषज्ञों के मुताबिक अभी भी निर्माण काल में हैं, यानी वे निर्मित हो रहे हैं। लिहाजा उनकी संरचना ही कच्ची है। जब सड़क निर्माण होता है तो पहाड़ों को डाइनामाइट से उड़ाने के कारण वे और कमजोर पड़ जाते हैं। इस पूरे क्षेत्र में हर बरसात के दौरान सबसे ज्यादा भू-स्खलन की घटनाएं पेश आती हैं। बावजूद इसके प्रदेश के लोक निर्माण विभाग ने कभी भी सबक नहीं लिया। यहां तक कि ऐसी कोई भी रिपोर्ट पेश नहीं की जा सकी, जिसके बूते सरकार को यह सलाह दी जाती कि जियो टेक्निकल रिपोर्ट को आवश्यक बनाया जाए। हिमाचल अति संवेदनशील प्रदेशों में शुमार है। प्राकृतिक आपदाओं की दृष्टि से भी व भूकंप के नजरिए से भी। हैरानी की बात है कि इतने बड़े लोक निर्माण विभाग ने ऐसी रिपोर्ट्स पर कभी गौर ही नहीं किया।

जियोलॉजिकल विंग अलग से

प्रदेश में उद्योग विभाग के तहत अलग से जियोलॉजिकल विंग स्थापित किया गया है। इसमें भू-गर्भ विशेषज्ञों की अच्छी संख्या है, मगर उनका कार्य रेत-बजरी व पत्थर की नीलामियों से जुड़ा रहता है, जबकि होना तो यह चाहिए कि लोक निर्माण विभाग व जियोलॉजिकल विंग समन्वय बिठाकर सड़क निर्माण से पहले संबंधित क्षेत्र की रिपोर्ट तैयार करें, तभी निर्माण की मंजूरी दी जाए।

35 हजार किलोमीटर सड़कें

हिमाचल में 35 हजार किलोमीटर लंबी सड़कें तैयार हो चुकी हैं, मगर विश्व बैंक की सड़कों को छोड़ दें तो अन्य किसी भी स्टेट व नेशनल हाई-वे पर जियो टेक्निकल सर्वे रिपोर्ट जैसी शर्तें लागू ही नहीं हैं।

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