कर्मचारियों को बैक डेट से मिलें सभी लाभ

By: Aug 2nd, 2017 12:01 am

कोर्ट के आदेश, नगर निगम धर्मशाला के ४० कर्मियों को पेंशन सुविधा भी देनी होगी

धर्मशाला —  नगर निगम धर्मशाला के कर्मचारियों को रेगुलर करने में बरती गई लेटलतीफी प्रबंधन पर भारी पड़ी है। कोर्ट ने निगम कर्मचारियों को बैक डेट से लाभ देने के निर्देश जारी किए हैं। इसके अलावा निगम को कर्मचारियों को पेंशन का लाभ भी प्रदान करना होगा। जानकारी के अनुसार नगर निगम धर्मशाला में कार्यरत 40 के करीब कर्मचारियों को निगम ने 15 से 16 साल के बाद नियमित किया, लेकिन उन्हें बैक डेट के लाभ देने में आनाकानी की। इस पर कर्मचारियों ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और न्यायालय ने अपना फैसला कर्मचारियों के पक्ष में सुनाया। नगर निगम के कर्मचारियों के अधिवक्ता अश्वनी कुमार गुप्ता ने बताया कि नगर निगम धर्मशाला ने कर्मचारियों को करीब 14-15 साल बाद नियमित किया था, लेकिन उन्हें बैक डेट के लाभ देने से वंचित रखा, इस पर कर्मचारी न्यायालय की शरण में गए। इस पर न्यायालय ने कर्मचारियों के हक में फैसला सुनाते हुए निगम प्रशासन को कर्मचारियों को बैक डेट से लाभ देने के निर्देश दिए। इसके अलावा अब इन कर्मचारियों को निगम की ओर से पेंशन की सुविधा भी दी जाएगी। वहीं, इंटक के उपाध्यक्ष रमेश सैणी और निगम के कर्मचारियों अमर सिंह, महेंद्र सिंह, रघुवीर सिंह, पम्मी कुमार, विनोद कुमार, दीपक, सिकंदर, मुलख राज और हरबंस लाल आदि ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि न्यायालय ने कर्मचारियों के हक में फैसला सुना कर उन्हें न्याय दिया है। वहीं, नगर निगम धर्मशाला की महापौर रजनी व्यास ने बताया कि कोर्ट के आर्डर की कॉपी का अध्ययन करके ही आगामी कदम उठाया जाएगा।

ब्याज सहित देने होंगे सेवा लाभ

मंडी —  हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक ट्रिब्यूनल ने दोषी करार दिए गए पुलिस कर्मी को सभी सेवा संबंधी लाभ देने का फैसला सुनाया है। ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष वी के शर्मा ने प्रदेश के गृहसचिव और पुलिस महानिदेशक को निर्देश देते हुए हत्या के एक मामले में बर्खास्त पुलिस कर्मी खुशी राम को सभी सेवा संबंधी लाभ ब्याज सहित देने को कहा है। अधिवक्ता संत राम के माध्यम से ट्रिब्यूनल में दायर याचिका के अनुसार खुशी राम जनवरी, 1983 में बल्ह थाना में बतौर पुलिस कर्मी तैनात था। इसी दौरान थाना में शेरू नामक एक आरोपी की हत्या हो गई थी। पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज करके 15 आरोपियों को नामजद किया था। इनमें से चार आरोपियों को जिला एवं सत्र न्यायालय ने उम्र कैद की सजा सुनाई थी, जबकि खुशी राम समेत 11 अन्य आरोपियों को चार साल कारावास और तीन हजार रुपाए जुर्माने की सजा हुई थी। उम्रकैद के दोषियों का फैसला उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट ने अपीलों में बरकरार रखा था, जबकि खुशी राम सहित 11 अन्य आरोपियों की अपीलों में उच्च न्यायालय ने फैसला बरकरार रखा था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अपीलों को आंशिक रूप से स्वीकारते हुए 11 आरोपियों द्वारा काट ली गई सजा का फैसला सुनाया था। फैसला आने के बाद विभाग ने खुशी राम व अन्य आरोपियों को सेवा से बर्खास्त कर दिया था और उन्हें सेवा संबंधी लाभों से वंचित कर दिया था। खुशी राम ने ट्रिब्यूनल में याचिका दायर की थी। ट्रिब्यूनल ने कहा कि सीसीएस (पेंशन) नियमों की धारा 41 के तहत याचिकाकर्ता को करुणामूलक भत्ता दिया जाना चाहिए। ऐसे में ट्रिब्यूनल ने याचिकाकर्ता के पक्ष में छह प्रतिशत ब्याज सहित सेवा लाभ जारी करने का फैसला सुनाया है।

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