गोबिंद-पौंग में 30.2 मीट्रिक टन उत्पादन

By: Aug 3rd, 2017 12:10 am

NEWSबिलासपुर— हिमाचल प्रदेश में मत्स्य आखेट के दूसरे दिन बुधवार को दोनों बड़े जलाशयों गोबिंदसागर और पौंग डैम में इस बार पिछले साल की तुलना में 9.6 मीट्रिक टन अधिक फिश प्रोडक्शन दर्ज की गई है। दोनों जलाशयों में 30.2 मीट्रिक टन उत्पादन हुआ है। गोबिंदसागर में जहां 13.7 मीट्रिक टन प्रोडक्शन हुई है तो वहीं पौंग डैम में 16.5 मीट्रिक टन। ऐसे में पौंग डैम में पिछले साल के मुकाबले इस बार आठ मीट्रिक टन अधिक उत्पादन दर्ज किया गया है। खास बात यह है कि गोबिंदसागर और पौंगडैम जलाशयों में मत्स्य उत्पादन बढ़ोतरी हुई है, लेकिन चमेरा डैम, रणजीत सागर व कोल डैम में उम्मीद के मुताबिक प्रोडक्शन न होने से विभाग के समक्ष चिंता भी खड़ी हो गई है। जानकारी के अनुसार गोबिंदसागर में दूसरे दिन पिछले साल के मुकाबले इस बार 1.6 मीट्रिक टन अधिक मछली पैदावार दर्ज की गई है। बुधवार को गोबिंदसागर जलाशय में 13748.5 किलोग्राम यानी 13.7 मीट्रिक टन मत्स्य उत्पादन हुआ है, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 12119.0 किलोग्राम यानी 12.1 मीट्रिक टन था। जलाशय में 3680 किलोग्राम यानी 3.6 मीट्रिक टन सिल्वर कार्प प्रजाति की मछली का उत्पादन दर्ज किया गया है। 16 से 17 किलोग्राम भार की सिल्वर कार्प प्रजाति गोबिंदसागर में पकड़ी गई। इसी प्रकार पौंग डैम में 16.5 मीट्रिक टन उत्पादन हुआ है जो कि पिछले मुकाबले इस बार आठ मीट्रिक टन अधिक है। विडंबना यह है कि चमेरा डैम, कोलडैम व रणजीत सागर डैम में विभाग को निराशा मिल रही है। चमेरा डैम में 47 किलोग्राम मछली उत्पादन हुआ है, जबकि पिछली बार यह आंकड़ा 43 किलोग्राम था। यानी इस बार महज चार किलोग्राम की बढ़ोतरी ही हो सकी है। रणजीत सागर डैम में 48.5 किलोग्राम मछली उत्पादन हुआ है। पिछली बार यह आंकड़ा 101 किलोग्राम था। इसी तरह कोलडैम में भी विभाग को निराशा मिली है।  ऐसे में चमेरा डैम, कोल डैम और रणजीत सागर डैम में विभाग को उम्मीद के मुताबिक रिजल्ट नहीं मिल पा रहे हैं।   मत्स्य विभाग के निदेशक गुरचरण सिंह ने खबर की पुष्टि की है।

कोल डैम में महज 34 किलोग्राम उत्पादन

प्रदेश के पांचवें जलाशय कोलडैम में विभाग को उम्मीद के मुताबिक परिणाम नहीं मिल पा रहे। बुधवार को मत्स्य आखेट के दूसरे दिन 34 किलोग्राम मछली ही पकड़ी जा सकी है। जबकि पिछली बार यह आंकड़ा 326 किलोग्राम था। बताया जा रहा है कि मत्स्य सहकारी सभाएं मछली पकड़ने के लिए कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखा रहीं। इसके चलते इस बार विभाग के प्रोडक्शन बढ़ाने के लक्ष्य को झटका लग रहा है। सूत्र बताते हैं कि एक सौ अस्सी के करीब मछुआरों को मत्स्य आखेट के लिए विभाग द्वारा बाकायदा लाइसेंस भी जारी किए गए हैं।

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