डिजिटल एक्सटेंशन सर्विस से जुड़ें युवा
देहरादून में परियोजना निदेशक डी. सेंथिल ने की अपील, किसानों की कमाई बढ़ाने पर देंगे जोर
देहरादून – एकीकृत आजीविका सहयोग परियोजना के अंर्तगत कृषि, उद्यान एवं पशुपालन क्षेत्रों में क्रियान्वित की जा रही विभिन्न रोजगारपरक को डिजिटल एक्सटेंशन सर्विस से जोड़ा जाएगा। डिजिटल एक्सटेंशन सर्विस के माध्यम से परियोजना लाभार्थियों को लाभप्रद तकनीकी जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी। इस संबंध में सचिवालय के एफआरडीसी सभागार में शुक्रवार को मुख्य परियोजना निदेशक डी. सेंथिल पाडियन की अध्यक्षता में बैठक हुई, जिसमें उत्तराखंड के किसानों की आजीविका बढ़ाने के लिए तकनीकी विशेषज्ञों द्वारा प्रस्तुतिकरण भी दिया गया। बैठक में बताया गया कि उत्तराखंड में पलायन मुख्य चुनौती है। इस चुनौती से निपटने के लिए यह डिजिटल एक्सटेंशन सर्विस मुख्य भूमिका निभा सकती है। बैठक में कृषि विभाग, उद्यान विभाग और पशुपालन विभाग के उच्च अधिकारियों द्वारा भी प्रतिभाग किया गया। विभिन्न विभागों के साथ चर्चा कर डिजिटल एक्सटेंशन सर्विस को उत्तराखंड की भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप तैयार किए जाने हेतु सुझाव दिए गए। कर्नाटक से आए विशेषज्ञ आनंद बाबू ने बताया कि डिजिटल एक्सटेंशन सर्विस की यह सेवा कर्नाटक, तेलंगाना, महाराष्ट्र, तमिलनाडू एवं झारखंड राज्यों के काश्तकारों को दी रही है। इसके अंतर्गत एक विशेष प्रकार डेटा युक्त डिवाइस को ग्राम स्तर पर स्थापित किया जाता है, जिससे किसान अपने मोबाइल फोन में इस ऐप का निःशुल्क लाभ उठा सकते हैं। इसके लिए राज्य सरकार द्वारा प्रत्येक कलस्टर स्तर पर एक डिवाइस स्थापित की जाएगी। प्रति डिवाइस लागत 16000 से 20000 तक आएगी। जानकारी के संचार हेतु इस डिवाइस को उपयुक्त बताया तथा उत्तराखंड के किसानों की आवश्यकता के अनुरूप डिवाइस को तैयार करने हेतु सुझाव दिए। डिवाइस को एकीकृत आजीविका सहयोग परियोजना के अंतर्गत गठित सहकारिताओं व कृषि, उद्यान व पशुपालन विभाग से जुड़े काश्तकारों के लिए लागू करने पर सहमति बनी है। बैठक में डा. राम विलास यादव अपर निदेशक, उत्तराखंड ग्राम्य विकास समिति द्वारा प्रतिभाग किया गया है।
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