नई रोड टेक्नोलॉजी में हिमाचल फिसड्डी

By: Aug 12th, 2017 12:02 am

प्रदेश में कोल्ड मिक्स तकनीक का बड़े स्तर पर नहीं हो पाया इस्तेमाल, नैनो टेक्नोलॉजी की योजना भी फाइलों तक सीमित

शिमला — हिमाचल सड़कों के निर्माण में नई टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल में पिछड़ रहा है। राज्य में कोल्ड मिक्स टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल बड़े स्तर पर नहीं हो पाया है, वहीं नैनो टेक्नोलॉजी की योजना भी कागजों से बाहर नहीं आ पा रही है। ऐसे में केंद्र ने हिमाचल पीएमजीएसवाई की 450 किमी लंबी सड़क को इस बार कोल्ड मिक्स टेक्नोलॉजी बनाने का टारगेट दिया है। दुनिया में जहां कोल्ड मिक्स टेक्नोलॉजी, नैनो टेक्नोलॉजी व प्लास्टिक टेक्नोलॉजी से सड़कों का निर्माण बड़े स्तर पर इस्तेमाल हो रहा है, वहीं हिमाचल अभी इन तकनीकों को ज्यादा नहीं अपना पाया है। कोल्ड मिक्स टेक्नोलॉजी की बात करें, तो इसमें हिमाचल ट्रायल तक ही सीमित रहा है। लोक निर्माण विभाग ने दो साल पहले अपने सभी मंडलों में एक-एक सड़क में कोल्ड मिक्स टेक्नोलॉजी का ट्रायल किया था। यह टेक्नोलॉजी ठंडे इलाकों के लिए कारगर है, जहां पर ठंड की वजह से सड़कों की टायरिंग करना परंपरागत हॉट टेक्नोलॉजी तकनीक से हर समय संभव नहीं हो पाता, लेकिन यह तकनीक अभी बड़े स्तर पर इस्तेमाल नहीं हो सकी है। अधिकारियों के अनुसार हिमाचल में अभी 20 फीसदी तक सड़कों में इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। हालांकि इस टेक्नोलॉजी के लिए सेटिंग का समय 48 घंटे का रहता है, जो कि शहर की सड़कों व मुख्य मार्गों पर वाहनों की अधिक आवाजाही से नहीं मिल पाता। इसलिए भी इस टेक्नोलॉजी को बड़ी सड़कों पर इस्तेमाल नहीं हो पा रहा। ऐसे में ग्रामीण सड़कों पर ही इसका इस्तेमाल बड़े स्तर पर किया जा सकता है। केंद्र ने हिमाचल सहित अन्य राज्यों को पीएमजीएसवाई की सड़कों के लिए इस तकनीक का इस्तेमाल करने की सिफारिश पहले ही कर रखी है, लेकिन इस पर अभी काम नहीं हो पाया है। वहीं बीसी टेक्नोलॉजी (बिटुमिन कंकरीट) में बिटुमिन की मात्रा ज्यादा रहती है और साथ में इसमें सीमेंट व रेत का भी मिश्रण रहता है। इससे बारिश में सड़कों को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंच पाता। उधर, चीफ इंजीनियर (साउथ) एके चौहान का कहना है कि पीडब्ल्यूडी सड़कों में नई तकनीकों का इस्तेमाल कर रहा है। कोल्ड मिक्स टेक्नोलॉजी करीब 20-25 फीसदी तक इस्तेमाल की जा रही है। बीसी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल अब शिमला सहित कुछ स्थानों पर किया गया है और इसका विस्तार किया जाएगा। सड़कों में सीमेंट-कंकरीट पेवमेंट तकनीक भी कई जगह इस्तेमाल की गई, लेकिन महंगी होने की वजह से इसका बड़े स्तर पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।

प्लास्टिक तकनीक का भी हुआ था ट्रायल

केंद्र की ओर से राज्यों को सड़कों के निर्माण में प्लास्टिक टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल करने के लिए भी कहा गया है। प्लास्टिक टेक्नोलॉजी से बनी सड़कें अपेक्षाकृत मजबूत होती हैं। हालांकि हिमाचल ने काफी साल पहले इसका ट्रायल किया था, लेकिन इसका इस्तेमाल नहीं किया जा सका। अधिकारियों की मानें, तो हिमाचल में प्लास्टिक का इस्तेमाल प्रतिबंधित है और इससे बड़े स्तर पर सड़कों के निर्माण के लिए यहां प्लास्टिक उपलब्ध नहीं है। वहीं पीडब्ल्यूडी ने कोई बड़े आविष्कार सड़क तकनीक के क्षेत्र में नहीं किए हैं।

448 किमी रोड का है टारगेट

अब इस वित्त वर्ष में हिमाचल को 448 किलोमीटर लंबी सड़कों को कोल्ड मिक्स टेक्नोलॉजी से बनाने का टारगेट दिया गया है। यह एक ग्रीन टेक्नोलॉजी है। इसका इस्तेमाल कर हॉट मिक्स टेक्नोलॉजी से पर्यावरण को होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है। वहीं हिमाचल में नैनो टेक्नोलॉजी से सड़कों के निर्माण की योजना अभी भी कागजों से बाहर नहीं आ पाई है। बीसी टेक्नोलॉजी का भी प्रदेश में बड़े स्तर पर इस्तेमाल नहीं हो पाया है।

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