पुलिस मुख्यालय का घेराव, डीजीपी पर उबाल

By: Aug 31st, 2017 12:05 am

छात्रा न्याय मंच की नारेबाजी उग्र आंदोलन की दी चेतावनी

newsशिमला— कोटखाई प्रकरण में पुलिस की कार्यप्रणाली से नाराज लोगों का बुधवार को पुलिस मुख्यालय के बाहर गुस्सा फूट पड़ा। भारी तादाद में जुटे लोगों ने पुलिस मुख्यालय का घेराव किया और डीजीपी की बर्खास्तगी की मांग की। लोगों ने कहा कि यदि डीजीपी सोमेश गोयल को जल्द नहीं हटाया गया और असली गुनहगारों को नहीं पकड़ा गया तो आंदोलन उग्र कर दिया जाएगा। छात्रा न्याय मंच के बैनर तले जुटे  लोगों ने  निगम विहार स्थित पुलिस मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन किया और नारेबाजी की। इस मौके पर छात्रा न्याय मंच के सह संयोजक विजेंद्र मेहरा ने कहा कि सीबीआई द्वारा पुलिस अधिकारियों की गिरफ्तारी करना बड़ा कदम है। सीबीआई की यह कार्रवाई इस केस का भंडा फोड़ने में अहम होगी। उन्होंने सीबीआई से मांग की है कि जांच तेज की जाए व छात्रा के असली कातिलों को तुरंत गिरफ्तार किया जाए। उन्होंने डीजीपी हिमाचल प्रदेश को तुरंत पद से बर्खास्त करने के मांग की और कहा कि मौजूदा डीजीपी के कार्यकाल में हिमाचल में कानून व्यवस्था पटरी से उतर गई है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पुलिस कस्टडी में सूरज की हत्या की गई। कानून की रक्षक पुलिस भक्षक बन गई है। पुलिस से लोगों का भरोसा पूरी तरह टूट चुका है। पुलिस अधिकारियों की गिरफ्तारी से साबित हो चुका है कि पुलिस प्रशासन रसूखदारों के आगोश में है। उन्होंने कहा कि साल 2006 में चमेरा प्रोजेक्ट के तिहरे हत्याकांड में कातिलों पर कार्रवाई करने के बजाय तत्कालीन सीटू राज्य महासचिव डा. कश्मीर ठाकुर की निर्मम पिटाई के मामले में  अदालत द्वारा एसपी सहित पांच पुलिस अधिकारियों को एक वर्ष की जेल की सजा व अदालत द्वारा पुलिस अधिकारियों को 25 लाख रुपए का जुर्माना लगाने से साफ हो गया है कि पुलिस कुछ रसूखदारों की एजेंट बनी हुई है। इसी तरह पुलिस की भूमिका वर्ष 2015 के आईआईटी कमांद मंडी से भी साफ हो चुकी है, जहां निर्दोषों पर गोलियां बरसाने वाले बाउंसरों को गिरफ्तार करने के बजाय गोलियों के शिकार हुए 10 घायल मजदूरों को डेढ़ वर्ष तक बिना वजह जेल रखा गया व कातिल बाहर घूमते रहे।

आखिर क्या मजबूरी

छात्रा न्याय मंच ने कहा कि आखिर सरकार की क्या मजबूरी है कि वह डीजीपी को बचा रही है। इससे स्पष्ट है कि इस प्रकरण में राज्य  सरकार की मिलीभगत है। यदि डीजीपी को तुरंत बर्खास्त न किया गया तो आंदोलन तेज होगा व निर्णायक मोड़ लेगा।

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