पेट्रो गाडि़यों से खतरे में धौलाधार

By: Aug 12th, 2017 12:01 am

जरूरत से 80 फीसदी कम हो रहा जैव ईंधन का उत्पादन

पालमपुर— पेट्रोलियम से चलने वाले वाहनों की लगातार बढ़ रही संख्या आने वाले समय में धौलाधार के लिए खतरे का संकेत मानी जा रही है। विश्व जैव ईंधन दिवस पर पालमपुर कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यशाला में वैज्ञानिकों ने निरंतर बढ़ रहे प्रदूषण पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए समय रहते विकल्पों पर ध्यान देने का आह्वान किया है। एक ओर जहां ऊर्जा की खपत का ग्राफ  सालाना 6.5 फीसदी की दर से बढ़ रहा है, वहीं पेट्रोलियम के भंडार दिन-प्रतिदिन कम होते जा रहे हैं। वैश्विक स्तर पर देश में कच्चे तेल के उत्पादन का योगदान मात्र एक प्रतिशत है, जबकि उपयोग का ग्राफ 3.1 प्रतिशत तक पहुंच चुका है। दुनिया भर में इस विषय पर चिंता जताई जा रही है और यही कारण है कि काफी देशों ने बायो डीजल ब्लेंडिंग को अपनाना शुरू कर दिया है। बायो डीजल ब्लेंडिंग का ग्राफ ब्राजील में 25 और अमरीका में 15 फीसदी है, वहीं देश में यह आंकड़ा मात्र पांच फीसदी है। आंकड़े बताते हैं कि 2016-17 में देश में 156.1 मिलियन मीट्रिक टन जैव ईंधन की खपत हुई है, जबकि उत्पादन मात्र 34 मिलियन मीट्रिक टन रहा है, जो कि 80 फीसदी कम है। कार्यशाला में कृषि विवि केपूर्व कुलपति डा एसके शर्मा, वैज्ञानिक डा. डीके वत्स, रूपेश अग्रवाल, संजीव, डा नरेंद्र सांख्यान, डा प्रदीप कुमार आदि ने शिरकत की।

अब्दुल कलाम भी थे पक्ष में

पूर्व राष्ट्रपति डा. अब्दुल कलाम भी जैव ईंधन का उत्पादन बढ़ाने के पक्षधर थे। कलाम जैव ईंधन के लिए जैट्रोफा का उत्पादन बढ़ाने का आह्वान करते थे।

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