मनरेगा से मन नहीं लगा पा रहे विभाग

By: Aug 3rd, 2017 12:01 am

शिमला —  कई सरकारी विभाग ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी योजनाओं को पूरा करने में मनरेगा का सहयोग ले सकते हैं, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। हालांकि सरकारी विभागों को इसके लिए कहा भी गया है और सरकारी गाइडलाइन में भी यह शुमार है, लेकिन बावजूद इसके ये महकमे मनरेगा के जरिए अपनी योजनाओं को पूरा करने में दिलचस्पी नहीं दिखाते। सूत्रों की मानें तो ऐसा मनरेगा में बरती जा रही पारदर्शिता की वजह से है, क्योंकि उसके कार्यों में कोई धांधली नहीं हो सकती और हर तरह का ब्यौरा वहां रखना पड़ता है। ऐसे में सरकारी महकमे मनरेगा की बजाय ठेकेदारों से काम करवाने को ज्यादा तवज्जो देते हैं। मनरेगा में प्रदेश के पास एक बड़ी मजदूर संख्या है, जिसका इस्तेमाल सरकारी महकमों की योजनाओं को पूरा करने में किया जा सकता है। इससे योजनाओं का बजट भी कम हो सकता है, क्योंकि सरकार द्वारा तय दिहाड़ी पर ही यह काम होगा। इतना ही नहीं, इनके जरिए काम करने में पूरी पारदर्शिता भी रहेगी और जिम्मेदारी भी तय हो सकती है। इसका लाभ उठाने की बजाय सरकारी विभाग कन्नी काट रहे हैं। सालों से सरकारी व्यवस्था पुराने ढर्रे पर चल रही है, लेकिन मनरेगा में केंद्र सरकार के दिशा-निर्देश और राज्य सरकार के प्रयास कुछ अलग हैं। इसमें पारदर्शिता को मूल आधार बनाया गया है, जिसके लिए राज्य में जियो टैगिंग करवाई जा रही है। इसके तहत मनरेगा के तहत किए जा रहे कार्यों का आईडी जेनरेट किया जाता है, जिसे सॉफ्टवेयर में डालकर उसकी जियो टैगिंग की जाती है। लगभग एक लाख 50 हजार  से अधिक कार्यों की जियो टैगिंग हो चुकी है और 70 हजार कार्यों की टैगिंग जल्द होने वाली है, जिनकी आईडी जेनरेट की जा चुकी है। दूसरी तरफ सरकारी विभागों द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में जो काम किए जाते हैं, वे ठेकेदारों द्वारा करवाए जाते हैं, जिसमें कई तरह की घपलेबाजी का अंदेशा हमेशा बना रहता है। ऐसे में सरकारी महकमों को सालों पुराने पैटर्न को बदलकर पारदर्शिता बरतनी चाहिए। मगर ऐसा नहीं हो रहा है और निजी ठेकेदारों के जरिए पैसा कमाने की भी होड़ लगी हुई है। बहरहाल इसकी पारदर्शिता को बढ़ाने के लिए जो निर्देश केंद्र सरकार ने दे रखे हैं, राज्य सरकार उन पर अमल कर रही है और हिमाचल मनरेगा में अन्य राज्यों की अपेक्षा राष्ट्रीय स्तर पर बेहतर आंका गया है। इसमें सरकार भी अपने स्तर पर यह फैसला ले सकती है कि दूसरे विभाग भी मनरेगा से काम करवाएं तो इसके नतीजे और बेहतर निकलेंगे। सरकार को भी इस पर चिंतन की जरूरत है।

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