सत्र का तीसरा दिन भी धुला

By: Aug 25th, 2017 12:07 am

कानून व्यवस्था-भ्रष्टाचार पर चर्चा न होने से समय से पहले कार्यवाही स्थगित

NEWSशिमला— हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र का तीसरा दिन भी कानून व्यवस्था व भ्रष्टाचार के मामलों पर चर्चा न किए जाने की भेंट चढ़ गया। विपक्ष शुरू से ही नियम 67 के तहत चर्चा पर अड़ा रहा। गुरुवार को ही विपक्ष की तरफ से भ्रष्टाचार के मामलों पर चर्चा के लिए नियम 67 के तहत नोटिस दिया गया था। इसी नियम के तहत धर्मपुर के विधायक महेंद्र सिंह ने भी धर्मपुर में बलात्कार के मामले पर चर्चा के लिए नोटिस दिया था। जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई, विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह धर्मपुर मामले में स्वतः बयान देंगे। इस पर विपक्ष ने एतराज जताते हुए कहा कि जब विपक्ष को चर्चा के लिए वक्त नहीं दिया जा रहा तो मुख्यमंत्री किस नियम के तहत बयान देंगे। प्रतिपक्ष के नेता प्रो. धूमल ने प्वाइंट ऑफ आर्डर के तहत मामला उठाते हुए कहा कि तीन दिन से नियम 67 के तहत प्रश्नकाल को स्थगित करके कानून व्यवस्था पर चर्चा मांगी जा रही है। विपक्ष को तो इसकी अनुमति नहीं मिल पा रही। ऐसे में मुख्यमंत्री को बिना प्रश्नकाल स्थगित किए बयान देने की अनुमति किस नियम के तहत दी गई। व्यवस्था देते हुए विधानसभा अध्यक्ष बीबीएल बुटेल ने कहा कि सरकार को इस बात का अधिकार है कि वह सदन की कार्यवाही के दौरान बयान दे सकती है। इससे पूर्व मुख्यमंत्री ने हो-हल्ले के बीच स्टेटमेंट संसदीय कार्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री को दे दी, जिन्होंने मुख्यमंत्री का बयान पढ़ा। विपक्ष ने इस पर भी हो-हल्ला करते हुए कहा कि सदन में नियमों की धज्जियां उड़ रही हैं। विपक्ष ने कहा कि धर्मशाला में अध्यक्ष की चेयर पर बैठने के लिए भाजपा विधायक सुरेश भारद्वाज को सस्पेंड कर दिया गया था। बुधवार को भी बिना नोटिस के विधायक आशा कुमारी चेयर पर बैठीं, मगर अध्यक्ष ने कोई कार्यवाही नहीं की। इस पर विधानसभा अध्यक्ष बीबीएल बुटेल ने फिर दोहराया कि उनकी अनुमति से ही आशा कुमारी ने स्थगन आदेश दिए थे। विपक्षी सदस्यों ने हो-हल्ला जारी रखा और गुरुवार को प्रश्नकाल नहीं चल सका। प्रतिपक्ष के नेता प्रो. धूमल ने हमीरपुर में 15 वर्ष की बच्ची के बलात्कार का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि जब ऐसे मामले सदन में उठाए जाते हैं तो मुख्यमंत्री प्रतिकूल टिप्पणियां करते हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री पर पलटवार करते हुए कहा कि जंगल में भाजपा एमएलए नहीं, मुख्यमंत्री के कारण विधानसभा जंगल बन चुकी है। उन्हीं का अपनी सरकार पर नियंत्रण नहीं है। उन्हें ऐज व स्टेज को ध्यान में रखकर ही प्रतिक्रिया करनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि यदि कोटखाई छात्रा मामले में समय पर चर्चा होती तो इसका लोगों में अच्छा संदेश जा सकता था। इससे यह भी जाहिर होता कि विधानसभा व सरकार दोनों ऐसे मामलों पर गंभीर हैं।

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