सैनिक सेवा को सिविल में न जोड़ने से खुश

By: Aug 11th, 2017 12:01 am

हमीरपुर — प्रदेश मुख्याध्यापक अधिकारी संघ ने प्रदेश सरकार के ऐतिहासिक फैसले का स्वागत किया है। प्रदेश उच्च न्यायालय ने सरकार को पारित आदेश में सैनिक के रूप में की गई सेवा को सिविल सेवा के साथ न जोड़ने के आदेश दिए हैं। पूरे देश में हिमाचल प्रदेश केवल एकमात्र राज्य है, जिसमें पूर्व सैनिकों को वित्तीय लाभों के साथ वरिष्ठता भी प्रदान की जा रही है। संघ के प्रदेशाध्यक्ष विजय गौतम ने बताया कि उक्त फैसले से करोड़ों रुपए के बोझ को कम करने के साथ-साथ लाखों प्रदेशवासियों को भी राहत प्रदान की है। भूतपूर्व सैनिकों को सेना में भर्ती के समय से ही पुनः नियुक्ति से न केवल सरकार पर प्रतिमाह करोड़ों रुपए का बोझ था, बल्कि कनिष्ठ व्यक्ति वरिष्ठ के ऊपर आदेश चला रहा था। ऐसे में 25 से 30 वर्ष तक सेवा देने वाले सिविलियन कर्मचारी पांच से दस वर्ष के सेवाकाल वाले भूतपूर्व कर्मचारी के अधीन कार्यरत हैं। केवल टेक्नीकल, डाक्टर या इंजीनियर के रूप में सैनिक सिविल सेवा में भी इन्हीं पदों पर नियुक्ति पाने पर पूर्व सेवा की गिनती के पात्र हैं। बैठक में कार्यकारी अध्यक्ष अजय शर्मा, सचिव धु्रव पटियाल, वित्त सचिव सत्य प्रकाश शर्मा, कांगड़ा जिला प्रधान राजेंद्र जरियाल, चंबा प्रधान राजेश शर्मा, मंडी प्रधान राजेश गुप्ता, कुल्लू प्रधान पैनाराम, शिमला प्रधान सुरेंद्र चौहान, बिलासपुर ओम प्रकाश, सोलन मदन लाल, हमीरपुर प्रीतम चंद, किन्नौर प्रधान सुभाष नेगी, ऊना प्रधान रूप चंद, लाहुल-स्पीति प्रधान सौभा सैणी, रतन चौहान, सौमा राणा व नीना शर्मा आदि ने सरकार द्वारा लिए गए इस निर्णय का स्वागत किया है।

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