हद से ज्यादा बारिश ने ढहाई कयामत
उरला — करीब 48 जिंदगियां लील लेने वाली कोटरूपी त्रासदी भारी बारिश और नाले के पानी के बहाव के कारण हुई। भारी बारिश और नाले का पानी पहाड़ी में न रिसता तो शायद इतना विशालकाय भू-स्खलन न होता। केंद्र से आए भू-वैज्ञानिकों ने प्रारंभिक जांच में कहा है कि भारी वर्षा और नालों के पानी के बहाव के चलते पहाड़ी में छोटे-छोटे स्लाइडिंग जोन बन गए थे। इस कारण पहाड़ दरक गया। केंद्रीय भू-वैज्ञानिकों द्वारा किए गए सर्वे की रिपोर्ट चंडीगढ़ कार्यालय से एक दो दिन के भीतर सरकार को सौंप दी जाएगी। भू-वैज्ञानिकों के मुताबिक राहत की बात यह भी है कि भू-स्खलन में पहाड़ी का काफी अधिक हिस्सा दरक चुका है। ऐसे में यहां ज्यादा खतरे की संभावना नहीं है, फिर ही पूरी एहतियात बरती जा रही है। इसके अलावा पहाड़ी के मुहाने पर मलबा गिरने से बनी दो झीलों का पानी नीचे से रिस कर निकलना शुरू हो गया है, जिससे अब खतरा कम हो गया है। मुख्य सचिव वीसी फारका ने कहा कि केंद्र से आई टीम को जिला प्रशासन मदद के लिए रेगुलर आफिसर डेप्यूट करे। केंद्र से आए भू-वैज्ञानिकों की टीम ने बैठक में जानकारी दी कि पहाड़ी के दरकने का मुख्य कारण अधिक वर्षा होना, पहाड़ी पर छोटे-छोटे स्लाइडिंग जोन बनना रहा। आसपास के नालों के पानी का बहाव भी इसका मुख्य कारण रहा है। सर्वे की प्रारंभिक रिपोर्ट एक दो-दिनों के भीतर तैयार कर सरकार को दी जाएगी। वैज्ञानिकों ने कहा कि पहाड़ी का मेजर पोर्सन निकल चुका है। पहाड़ी के मुहाने पर मलबा गिरने से बनी दो झीलों का पानी नीचे से रिसाव होकर निकलना शुरू हो गया है, जिससे अब खतरा कम हो गया है। दो जगह से धंस चुकी है जमीन केंद्रीय टीम के भू-वैज्ञानिकों ने बताया कि पहाड़ी के ऊपरी जगेहड़ और सराजगबागला गांव में आसपास करीब 200 मीटर के दायरे में जमीन धंस चुकी है। ऐसे में खराब मौसम के दौरान यहां खतरे की आशंका है। इसी के चलते टीम अभी अलर्ट है, ताकि हादसे की पुनरावृत्ति न हो।
जगह धंसने से मकान में दरारें
कोटरूपी— कोटरूपी घटनास्थल के समीप लगते गोरखु राम पुत्र चैतरू राम के स्लैबनुमा मकान में जगह बैठने से दरारें आ गई हैं। गोरखु राम ने हाल ही में नया मकान बनाया था। इस भीषण त्रासदी से भले ही मकान सुरक्षित बच गया, लेकिन अब जगह बैठने से दरारें आना शुरू हो गई हैं। प्रशासन ने हालांकि इनके गांव को भी अलर्ट जारी कर सुरक्षित स्थान पर जाने की हिदायतें दी हैं, लेकिन हाल ही में बनाया गए मकान में दरारें आने और असुरक्षित स्थान घोषित हो जाने से पूरा परिवार चिंता में है। गोरखु राम का कहना है कि अपनी सारी पूंजी मकान के निर्माण में ही लगा दी थी। अब हाथ में बचा कुछ नहीं है।
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