हिमाचल में 26 फीसदी बच्चे बौने

By: Aug 12th, 2017 12:01 am

21 प्रतिशत अंडरवेट, 13 फीसदी शारीरिक तौर पर कमजोर

शिमला — हिमाचल में स्वास्थ्य विभाग की ओर से बाल स्वास्थ्य सुधार को लेकर बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं, लेकिन राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे की रिपोर्ट इन दावों की पोल खोल रहा है। इस सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक हिमाचल में औसतन 25 फीसदी से भी अधिक बच्चों को पूरा पोषण न मिलने के कारण कुपोषण का शिकार हो रहे हैं। इसके कारण न तो बच्चों का सही से कद नहीं बढ़ पा रहा है और कुपोषण का शिकार हो रहे हैं। इतना ही नहीं, बच्चों का भार भी मानकों के मुताबिक नहीं बढ़ रहा है। यह सर्वे रिपोर्ट प्रदेश में बाल स्वास्थ्य योजनाओं का कड़वा सच सामने ला रही है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे के मुताबिक हिमाचल में 26.3 फीसदी बच्चे बौने कद के हैं, जबकि 21.2 फीसदी अंडरवेट और 13.7 फीसदी दुर्बल हैं। सर्वे के मुताबिक 26.3 फीसदी बौने बच्चों में सबसे अधिक राजधानी शिमला में 30.3 फीसदी बच्चे कुपोषण का शिकार हैं। इसी तरह बिलासपुर में 27.2, चंबा में 29.9, हमीरपुर में 29.3, कांगड़ा में 25.6 किन्नौर में 18.4, कुल्लू में 19.0, लाहुल-स्पीति में 23, मंडी में 26.3, सिरमौर में 23.5, सोलन में 27.6 और ऊना में 22.6 प्रतिशत बच्चे बौने हैं। इसी तरह 21.2 फीसदी अंडरवेट बच्चे हैं, जो प्रदेश में सबसे अधिक हैं, जबकि बिलासपुर में 21.2, चंबा में 23.4, हमीरपुर में 19.4, कांगड़ा में 23.3, किन्नौर में 15.9, कुल्लू में 11.0, लाहुल-स्पीति में 16.1, मंडी में 16.2, शिमला में 24.8, सिरमौर में 25.3 और ऊना में 14.6 फीसदी बच्चे अंडरवेट हैं। इसी तरह दुर्बल (शारीरिक रूप से कमजोर) 13.7 फीसदी बच्चों में बिलासपुर में 13.1, चंबा में 15.0, हमीरपुर में 12.6, कांगड़ा में 11.3, किन्नौर में 12.4, कुल्लू में 11.3, लाहुल-स्पीति में 20.8, मंडी में 13.1, शिमला में 15.0, सिरमौर में 19.5, सोलन में 17.5 और ऊना में 10.7 बच्चे शारीरिक तौर पर कमजोर हैं।

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