45 साल से झेल रहे विस्थापन का दंश
पौंग डैम औस्टीज हिमाचल-राजस्थान सरकार के रवैये से खफा
जवाली – पौंग बांध विस्थापित न तो भाजपा से हैं और न ही कांग्रेसी हैं। विस्थापित तो वह विशेष वर्ग है, जिसे हिमाचल और राजस्थान सरकार द्वारा विस्थापन के दर्द से निजात नहीं दिलाई गई। ये शब्द पौंग बांध विस्थापित संघर्ष समिति की प्रदेश स्तरीय बैठक में समिति के प्रदेशाध्यक्ष तीर्थराम शर्मा ने कहे। बैठक में तीर्थराम शर्मा ने पौंग बांध विस्थापितों की समस्याओं पर विचार-विमर्श किया तथा 12 अगस्त को फतेहपुर में राजस्थान सरकार के अधिकारी व हाई पावर कमेटी के साथ होने वाली बैठक के लिए रणनीति तैयार की। विस्थपित 45 साल का समय बीत जाने के बाद भी आज तक विस्थापन का दंश झेल रहे हैं। आज तक विस्थापितों को राजस्थान में मुरब्बे अलॉट नहीं हो पाए हैं। उन्होंने कहा कि पौंग डैम निर्माण के समय विस्थापितों के साथ वादा किया गया था कि उनको श्रीगंगानगर में मूलभूत सुविधाओं से युक्त जमीन दी जाएगी, लेकिन उस जमीन का मात्र दो प्रतिशत भाग ही विस्थापितों को दिया गया, जबकि अन्य भाग को राजस्थान सरकार ने अपने चहेतों को बेच दिया। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में जिन जगहों पर मुरब्बे अलॉट हो रहे हैं, वहां पर कोई भी मूलभूत सुविधा नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के आगामी चुनावों में पौंग डैम औस्टीज का साझा संगठन दोनों बड़ी पार्टियों के समक्ष यह प्रस्ताव रखेगा कि पौंग डैम औस्टीज उसी पार्टी को वोट देंगे, जो अपने घोषणा पत्र में लिखित आश्वासन देगी कि चुनाव जीतने के तुरंत बाद पौंग डैम औस्टीज की समस्याओं के स्थायी हल के लिए सुप्रीम कोर्ट में केस डालेगी। अगर इन मांगों को पूरा नहीं किया तो राजस्थान जाने वाले पानी को बंद करवाने के लिए पौंग डैम पर धरना देने को बाध्य होंगे। इस मौके पर प्रदेश उपाध्यक्ष मदन मोहन चौधरी, हंस राज, प्यारे लाल, रमेश कौंडल, हुकुम चंद व सोम आदि मौजूद रहे।
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