बड़ों की बात मानों

By: Aug 20th, 2017 12:02 am

मेमने ने धैर्य के साथ कहा मुझे मालूम है इस तरह घूमकर मैं बड़ी शरारत कर रहा हूं। यह सुन कर भेडि़या उस पर जोर से हंस पड़ा। अब तुम शरारती बने हो तुम्हें दंड तो मिलना चाहिए। मैं तुम्हें दंड दूंगा…

बहुत समय पहले की बात है कि एक जंगल के किनारे घास के मैदान में एक बकरियों का झुंड रहा करता था। बकरियों के झुंड की रखवाली के लिए दो गद्दी कुत्ते हुआ करते थे। बकरियां कभी भी जंगल के अंदर हरी घास खाने नहीं जाती थीं। जंगल के बीच में कई शिकारी जानवर रहते थे, जिनसे बकरियों को हमेशा खतरा बना रहता था। बकरियां मैदान के नजदीक ही चर कर अपना पेट भर लेती थीं। बकरियां अपने मेमनों को भी जंगल के बीच में जाने से रोकती रहती थीं और समझाती रहती थीं कि अगर वे जंगल में जाएंगे, तो उनकी जान को खतरा हो सकता है। एक दिन एक छोटा सा मेमना हरी और मीठी घास खाते-खाते जंगल के बीच में चला गया। जैसे ही वह जंगल में गया, एक भेडि़ए ने उसे देख लिया। भेडि़ए ने अपने मन में सोचा आज के भोजन का इंतजाम हो गया है।

 इतना सोचते ही दुष्ट भेडि़या मेमने के सामने कूद पड़ा। वह अपने बड़े-बड़े नुकीले दांत भींच कर बोला, तुम्हें मालूम है तुम्हें इस तरह यहां घूमना नहीं चाहिए। भेडि़ए को देख कर मेमना डर गया और भय के मारे कांपने लगा।  परंतु उसने धैर्य के साथ कहा मुझे मालूम है इस तरह घूम कर मैं बड़ी शरारत कर रहा हूं। यह सुन कर भेडि़या उस पर जोर से हंस पड़ा और जोर से बोला, अब तुम शरारती बने हो तुम्हें दंड तो मिलना चाहिए। मैं तुम्हें दंड दूंगा। तुम्हें खाकर अपना भोजन पूरा करूंगा।   मेमना बड़ा भयभीत हुआ। उसने अपनी रक्षा करना जरूरी समझा। इस लिए उसने एक उपाय सोचा। उसने भेडि़ए से प्रार्थना की कि क्या आप मेरी अंतिम  इच्छा पूरी नहीं करोगे। भेडि़ए ने कहा, हां- हां इस से मुझे कोई हानि नहीं होगी। मेमने ने कहा,

 हे दयालु भेडि़ए क्या आप मेरे लिए एक गाना नहीं गाओगे। इस बात से भेडि़या बहुत खुश हुआ और जोर-जोर से गाने लगा। गाने की आवाज कुत्तों के कानों में पड़ गई। कुत्ते समझ गए कि छोटा मेमना जंगल में चला गया है। वे दौड़ते हुए जंगल में पहुंच गए, मेमने को ठीक ठाक देखते ही कुत्ते भेडि़ए पर टूट पड़े। कुत्ते उसके टुकड़े- टुकड़े कर देते, पर भेडि़ए ने बड़ी मुश्किल से भाग कर अपनी जान बचाई। मेमने ने कुत्तों से कहा, मुझे बचाने के लिए धन्यवाद। वह अपनी मां के पास दौड़ता हुआ गया और कहने लगा मैं आगे से  इस तरह भटकता हुआ कभी नहीं जाऊंगा। हमेशा अपने बुजर्गों की बातों को मान लिया करूंगा।

सारांशः हमें अपने बुजुर्गों की बातें हमेशा मान लेनी चाहिए।      

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