अवैध नशे की दुकानदारी

By: Sep 11th, 2017 12:02 am

(डीआर अवस्थी, सगूर, बैजनाथ )

अभी कुछ ही समय पहले शराब के ठेकों को बंद करवाने हेतु प्रदेश भर में महिलाओं को सड़कों पर उतरना पड़ा। इसके पीछे महिलाओं का आक्रोश ही नहीं, पीड़ा भी समझी जा सकती थी। परिणामस्वरूप कुछ शराब के ठेके बंद हुए, कुछ की जगह बदल गई। कितना दुखद है कि इतने बड़े आक्रोश के उपरांत भी गांवों के हालात नहीं बदले। आज रोजमर्रा की जरूरतों की पूर्ति हेतु जो दुकानें गांवों में खुली हैं, शाम ढलते ही उनमें से कुछ चुनिंदा दुकानें शराब परोसने के अड्डों में तबदील हो जाती हैं। विशेषकर ‘ताजा मुर्गा’ ब्रांडेड दुकानें जो लगभग प्रत्येक गांव में खुली मिल जाएंगी, इन्हीं ब्रांडेड दुकानों के आसपास शराबियों की भीड़, हुड़दंग रोज की बात हो चुकी है। हरेक गांव में ऐसे एक-दो अड्डे मिल जाएंगे, जहां शराब का अवैध रूप से क्रय-विक्रय होता है। यही नहीं, इन्हीं अड्डों पर चरस, भांग की व्यवस्था भी मिल जाएगी। कुछ समय से देवभूमि हिमाचल में अपराध, दुराचार जैसे अनैतिक कृत्य बढ़े हैं। इस सबका मूल कारण नशे का यह वैध-अवैध कारोबार ही है। ऐसे वातावरण में लड़कियों, महिलाओं का अपने ही गांवों में निकलना सुरक्षित नहीं है। पिछले आठ महीनों में 138 दुष्कर्म के मामले देवभूमि में दर्ज होना किसी चेतावनी से कम नहीं। शिक्षा विभाग द्वारा स्कूलों में पहुंचाया फरमान कि लड़कियां अकेले स्कूल न आएं, समझने के लिए काफी है कि आज समाज और इस देवभूमि की हालत क्या होती जा रही है। समाज पहले ही सुस्त अवस्था में है, क्योंकि जागृत समाज में ऐसे अनैतिक कृत्य हो ही नहीं सकते। ग्राम पंचायतें भी चाहतीं तो भी अपने स्तर पर नशे के इस खुले कारोबार पर रोक लगा सकती थीं। तारीफ करनी होगी हिमाचल प्रदेश के सराज क्षेत्र की बेटी युवा ग्राम पंचायत प्रधान की, जिसने अपने दम पर अपने गांव को शराबमुक्त कर दिया। शेष पंचायतों को इससे सीख लेने की जरूरत है।  सरकार के पास सशक्त पुलिस विभाग है। हिमाचल प्रदेश सरकार देवभूमि को शराबमुक्त तो नहीं कर सकी, लेकिन पुलिस व समाज के सहयोग से नशे के इस खुले कारोबार को तो रोक सकती है।


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