करोड़ों से संवरेंगे खजियार रिवालसर, चंद्रताल वैटलैंड्स

By: Sep 15th, 2017 12:15 am

newsशिमला – हिमाचल में सिकुड़ते व दम तोड़ते वैटलैंड्स के संरक्षण के लिए केंद्रीय वन मंत्रालय ने तीन वैटलैंड्स के लिए प्रोजेक्ट मंजूर किए हैं। खजियार का संरक्षण 1.6 करोड़ की सहायता से होगा। रिवालसर का 55 लाख और चंद्रताल का 13 लाख की सहायता होगा। दो दिवसीय इंटेग्रेटेड मैनेजमेंट ऑफ वैटलैंड्स पर आधारित सेमिनार के दौरान राज्य विज्ञान, तकनीकी एवं पर्यावरण परिषद के सदस्य सचिव कुनाल सत्यार्थी ने दिव्य हिमाचल के साथ बातचीत में बताया कि दूसरे चरण में रेणुका, पौंग के लिए प्रस्ताव भेजे जा चुके हैं। सेमीनार में मौजूद केंद्र सरकार के वरिष्ठ सलाहकार डा. रविंद्र सिंह ने बताया कि जीआईजेड इंडिया ने पौंग व रेणुका प्रोजेक्ट्स को भी सैद्धांतिक मंजूरी दी है।  यही नहीं एक अन्य सवाल पर सदस्य सचिव कुनाल सत्यार्थी ने बताया कि हिमाचल में वैटलैंड्स  की सही इन्वेंटरी व जानकारी उपलब्ध हो, इसी के आधार पर उनकी बाउंड्री भी सुनिश्चित की जा सके, लिहाजा इसरो से वर्ष 2016 में एक करार किया गया था। इसके अंतर्गत अब 2017 में सेटेलाइट द्वारा सभी वैटलैंड्स  की मैपिंग होगी। अभी तक की मैपिंग के अनुसार प्रदेश में 641वैटलैंड्स  होने का खुलासा हुआ था। डा. रितेश कुमार वैटलैंड्स  इंटरनेशनल दक्षिण एशिया बतौर विशेषज्ञ मौजूद थे।

रिवालसर की समस्या

डा. रितेश के मुताबिक रिवालसर वैटलैंड में धार्मिक क्रियाओं को नियंत्रित किए जाने की जरूरत है। वहां मछलियों पर भी नियंत्रण लाने की जरूरत होगी। झील में पानी की गुणवत्ता व ड्रेनेज के साथ-साथ अन्य कारणों पर भी गौर करना आवश्यक होगा।

ये आएंगे वैटलैंड की श्रेणी में

भृगु लेक, सरयोसर,नाको  पराशर  मणिमहेश चंद्रनौण आदि।

वैटलैंड के संरक्षण के लिए अब  एक नोडल विभाग चयनित होगा। सभी संबंधित महकमें समन्वय से   संरक्षण के कार्य में जुटें, यह प्रयास होगा।सेमिनार का मकसद भी यही है कि वैटलैंड लोगों, वाइल्ड लाइफ के साथ-साथ पर्यटन के लिए महत्त्वपूर्ण बनें

तरुण कपूर

अतिरिक्त मुख्य सचिव (वन)

ग्लेशियर पिघलने से निचले क्षेत्रों में सिकुड़ रहे वैटलैंड्स

शिमला— हिमाचल के पर्वतीय इलाकों में वैटलैंड्स की संख्या बढ़ रही है, जबकि प्रदेश के निचले हिस्सों में वैटलैंड्स लगातार सिकुड़ रहे हैं। सर्वेक्षण बताते हैं कि ग्लेशियर्स की पिघलने की गति बढ़ने की वजह से ये बदलाव देखने को मिल रहे हैं।  इनकी वास्तविक संख्या का खुलासा इसरो द्वारा की जाने वाली मैपिंग से होगा। इसी वर्ष यह कार्य अक्तूबर तक शुरू किया जा सकता है।  विशेषज्ञ सूत्रों के मुताबिक इन नदियों पर आधारित ऐसे वैटलैंड्स की संख्या 340 से ज्यादा हो सकती है। देश में सात लाख 70 हजार वैटलैंड्स मौजूद होने की सूचनाएं हैं, जबकि अधिसूचित वैटलैंड्स की संख्या 170 के लगभग है।  पूरे देश में 25 रामसर साइट्स घोषित हैं।

हिमाचल में नहीं  है प्राधिकरण

हिमाचल में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में स्टीयरिंग कमेटी का गठन तो है, मगर राज्य वैटलैंड प्राधिकरण गठित नहीं हो सका है। अब इसे मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में गठित करने की तैयारी चल रही है।

ये है विशेषज्ञों की राय

बैठक में मौजूद विशेषज्ञों ने राय दी कि वैटलैंड्स का संरक्षण प्राकृतिक तौर पर ही होना चाहिए। मसलन वहां फिशरीज भी हो, बर्ड्स एक्टिविटी भी हो, लोगों के उपयोग में भी आए, नियंत्रित पर्यटन गतिविधियां भी जारी रहे और इलाके से छेड़छाड़ न हो।

ऐसे पड़ा रामसर नाम

रामसर इरान में एक इलाके का नाम है, जहां वर्ष 1980 में एक बड़ा आयोजन किया गया था, जिसमें वैटलैंड्स को लेकर बड़ा मंथन हुआ था। उसी के नाम पर संरक्षित व विकसित वैटलैंड्स को रामसर साइट्स का नाम दिया गया। हिमाचल में इनकी संख्या तीन है, जिनमें पौंग, चंद्रताल व रेणुका उल्लेखनीय है।


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