जीत लिए दो मोर्चे

By: Sep 8th, 2017 12:02 am

(स्वास्तिक ठाकुर, पांगी, चंबा )

अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक लिहाज से पिछला एक सप्ताह भारत के लिए बेहद दिलचस्प रहा है। इस दौरान भारत को दो बेहद संवेदनशील मोर्चों पर कामयाबी मिली है। पहले तो डोकलाम में सड़क निर्माण को लेकर चीन को अपने जिद्दी रुख को बदलना पड़ा। चीन की शुरू से ही रणनीति रही है कि अपनी दादागिरी के दम पर वह अपने आस-पड़ोस में विस्तारवादी रणनीति को अंजाम देता रहा है। इसके तहत उसने अपने पड़ोसी देशों के कई हिस्सों पर अवैध रूप से कब्जे कर लिए हैं। अब उसके निशाने पर डोकलाम था। इसके जरिए वह न केवल नेपाल के एक हिस्से को कब्जाना चाहता था, बल्कि डोकलाम के साथ भारत की सीमा पर उपस्थिति दर्ज करवाकर भारत की भी मुश्किलें बढ़ाना चाहता था। इसको लेकर भारत का जो स्टैंड रहा, उसकी कभी खुद चीन ने भी कल्पना नहीं की होगी। भारत की सेना ने न केवल चीन के इस कदम का विरोध किया, बल्कि उसके निर्माण कार्य को भी रोक दिया। चीन ने अपना पहले सा रौब झाड़ते हुए भारतीय सेना को पीछे धकेलने के भरसक प्रयास किए, लेकिन इस बार भारत ने भी अपनी शक्ति का परिचय दे दिया और सीमा पर मोर्चा न छोड़ा। परिणामस्वरूप चीन को अपनी हठ छोड़कर निर्माण कार्य रोकने के साथ-साथ सेना भी सीमा से हटानी पड़ी। दूसरी ओर ब्रिक्स सम्मेलन में चीन की धरती से पाकपरस्त आतंकवाद को जो आईना दिखाया गया, उससे पाकिस्तान भी सदमे में होगा। पाक ने कभी सोचा भी न होगा कि उसके मित्र देश चीन की सरजमीं से आतंकवाद और उसे पालने-पोसने वालों को इस तरह लताड़ा जाएगा और वह भी चीन की रजामंदी से। इस तरह भारत ने एक सप्ताह के भीतर ही दो महत्त्वपूर्ण किले फतह कर लिए।


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