टमाटर को नहीं मिला समर्थन मूल्य

By: Sep 25th, 2017 12:15 am

कई दशक बीत जाने के बाद भी प्रदेश भर के किसानों को कौडि़यों के भाव बेचनी पड़ रही फसल, सरकारें नहीं दे सकी सुविधा

newsसोलन – कई दशक बीत जाने के बाद भी किसानों को टमाटर का समर्थन मूल्य नहीं मिल पाया है। प्रदेश में प्रत्येक वर्ष औसतन 12 से 15 लाख क्रेट टमाटर का उत्पादन होता है। कई सरकारें आईं और गईं, लेकिन किसी ने टमाटर का समर्थन मूल्य तय नहीं किया है। मजबूरन किसानों को खूब-पसीने की कमाई कौडि़यों के भाव बेचनी पड़ रही है।  नेताओं ने समर्थन मूल्य के नाम पर वोट तो कई बार मांगे हैं, लेकिन सत्ता में आने के बाद किसानों की इस अहम मांग को भूल जाते हैं। हिमाचल प्रदेश में टमाटर का उत्पादन काफी बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। टमाटर उत्पादन में सोलन अग्रणी जिला है। मात्र सोलन में प्रत्येक वर्ष आठ लाख से क्रेट का उत्पादन किया जाता है। इसके आलावा सिरमौर, बिलासपुर, कांगड़ा तथा ऊना में भी अब टमाटर का उत्पादन किसानों द्वारा किया जाने लगा है। प्रदेश में टमाटर की खेती में लगातार इजाफा हो रहा है। टमाटर उत्पादकों को सरकार से हमेशा उम्मीद रहती है कि समर्थन मूल्य तय होगा, लेकिन आज तक वह दिन नहीं आया। टमाटर का उत्पादन अब के लाटरी टिकट की तरह बन कर रह गया है। रेट अच्छा मिला, तो मालामाल, नहीं मिला तो कंगाल।  गत वर्ष मंडी में टमाटर  पांच से सात रुपए प्रति किलो तक बिका है। इतने कम रेट में किसानों को आने-जाने का किराए भी नहीं मिल पाता था। इस वर्ष हालांकि शुरुआती दौर में टमाटर का काफी रेट मिला है, लेकिन दिनों किसानों का टमाटर मंडियों में कौड़ी के भाव बिक रहा है। हिम सोना व हाईब्रिड टमाटर मंडी में पांच से दस रुपए प्रति किलो तक है। यदि पंजाब व हरियाणा में टमाटर की फसल बारिश की वजह से नष्ट हो जाती है, तो हिमाचली टमाटर दिल्ली सहित देश की सभी मंडियों में काफी अच्छे रेट पर बिकता है, लेकिन ऐसा हमेशा नहीं होता है। आमतौर पर टमाटर का रेट काफी अधिक कम रहता है, जिसकी नुकसान टमाटर उत्पादकों को सहन करना पड़ रहा है। अहम बात यह है कि टमाटर की तर्ज पर हिमाचल में व्यापक स्तर पर सेब का भी उत्पादन हो रहा है। सेब का समर्थन मूल्य प्रदेश सरकार ने कई वर्ष पहले तय कर दिया है। बागबानों और किसानों के बीच हो रहे इस भेदभाव को लेकर भी काफी अधिक रोष है।

फूड प्रोसेसिंग यूनिट की डिमांड अधूरी

हिमाचल में फूड प्रोसेसिंग यूनिट की डिमांड भी कई वर्षों से रही है। फूड प्रोससिंग यूनिट लगने के बाद टमाटर व अन्य फलों की खपत प्रदेश में ही हो सकेगी। इससे न केवल बागबानों व किसानों को अपनी फसलों का अच्छा रेट मिलेगा, बल्कि प्रदेश के बेरोजगार युवाओं को रोजगार भी मिलेगा। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों ने आज तक किसानों की इस लंबित मांग को पूरा नहीं किया है।


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