पराली जलाने वालों पर नजर रखेगा सेटेलाइट

By: Sep 28th, 2017 12:02 am

यमुनानगर — उपायुक्त रोहतास सिंह खरब ने जिला सचिवालय के सभाकक्ष में जिला भर में फसल अवशेषों को जलाने पर पूर्णतः रोक लगाने हेतू समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए सभी विभागों के अधिकारियों को कड़े निर्देश दिए हैं कि सभी अधिकारी एवं कर्मचारी किसानों को अपने-अपने खेतों में धान की कटाई के बाद फसल अवशेष पराली को खेतों में न जलाने के बारे में जागरूक करें।  उपायुक्त रोहतास सिंह खरब ने बैठक में अधिकारियों को बताया कि पिछले दिनों हरियाणा के मुख्य सचिव ने विडियों कांफ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश के सभी अधिकारियों की बैठक ली थी और सभी अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि वे अपने क्षेत्र में किसानों को खेतों में धान अवशेष पराली न जलाने दें। उन्होंने कहा कि जिला के जिन गांवों में पहले फसल अवशेष ज्यादा जलाए गए हैं, उन गांवों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि धान कटाई के बाद गेहूं की फसल बोने के लिए किसानों के पास समय बहुत कम होता है अतः किसान धान की पराली को खेतों में जलाते हैं। अधिकारियों को चाहिए कि वे किसानों को खेतो में फसल अवशेषों को जलाने से होने वाले नुकसानों के बारे में बताएं। उन्होंने कहा कि फसल अवशेषों को जलाने से पर्यावरण प्रदूषित होता है, दूसरों की फसल जलने का खतरा होता है। उन्होंने कहा कि किसानो को जागरूक करने का कार्य केवल दो-चार विभागों के अधिकारियों-कर्मचारियों का ही नहीं है, बल्कि हर विभाग को इस कार्य में अपनी भूमिकाएं निभानी होगी।  धान की पराली खेतों में जलाना किसानों के लिए भी नुकसानदायक है तथा खेतो में पराली जलाना अपराधिक कार्य है, जिसके लिए किसानों को जुर्माना अदा करना पड़ेगा। रोहतास सिंह खर्ब ने स्पष्ट किया कि केंद्र की एक टीम द्वारा सैटेलाईट के माध्यम से खेतों में पराली जलाने वालों पर नजर रखी जाएगी, जिसकी सूचना जिला प्रशासन को अवश्य मिलेगी। परंतु यदि सूचना ऊपर से आएगी और जिला के अधिकारी, कर्मचारी खेतों में पराली जलाने वाले किसानों के बारे में सूचना नहीं देंगे तो ऐसे संबंधित अधिकारियों, कर्मचारियों के विरूद्ध कड़ी प्रशासनिक कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार इस मामले में गंभीर है और हमारे अंदर भी अपनी ड्यूटी के प्रति गंभीरता होनी चाहिए। उपायुक्त ने सरपंचों को भी आदेश दिए कि आपके गांव में यदि किसान ऐसा करता है, तो उसकी रिपोर्ट जिला प्रशासन के अधिकारियों से करें। उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।


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