पुराने बिजलीघरों को दें नया रूप

By: Sep 5th, 2017 12:02 am

आल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने कें द्र सरकार के समक्ष रखी मांग

जालंधर —  आल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने कहा कि निजी क्षेत्र से बिजली खरीदने के लिए सरकारी क्षेत्र के पुराने बिजली घरों को बंद करने के स्थान पर उन्हें नए सुपर क्रिटिकल बिजलीघरों में परिवर्तित किया जाए, जिनमें नए बिजलीघरों की तुलना में काफी कम लागत आएगी और बिजली उत्पादन खर्च भी कम होगा।  आल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने केंद्र सरकार से नेशनल इलेक्ट्रिसिटी और टैरिफ पॉलिसी के मसौदे में बदलाव, निजी घरानों के साथ किए गए बिजली करार रद्द करने करने की मांग की है। श्री गुप्ता ने कहा  कि सरकार की पॉलिसी के तहत थर्मल प्लांट््स को बंद करने और रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर को बहुत ज्यादा महत्त्व देने का प्रस्ताव है। उन्होंने बताया कि सरकार का अगले पांच साल में 175000 मेगावाट बिजली पैदा करने की योजना है। इनमें एक लाख मेगावाट सोलर और साठ हजार मेगावाट वायु ऊर्जा का योगदान रहेगा। इस पॉलिसी में थर्मल प्लांट््स का उपयोग बिलकुल कम हो जाएगा और अरबों रुपए जो इन थर्मल प्लांट््स को स्थापित करने में लगाए गए हैं, बेकार हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि सरकार को सोलर और वायु ऊर्जा के साथ-साथ थर्मल ऊर्जा का भी सही मिश्रण रखना होगा। केंद्र सरकार की पुरानी इकाइयों की बंदी योजना पर भी फेडरेशन ने सवाल खड़े करते हुए कहा है कि यह नीति पूरी तरह निजी घरानों से बिजली खरीदने के लिए बनाई गई है। केंद्रीय विद्युत मंत्रालय ने लगभग 19993 मेगावाट क्षमता के राज्य सरकार के ऐसे बिजली घरों को बंद करने की योजना बनाई है,जो बिजलीघर 25 साल से अधिक पुराने हो चुके हैं। इनमें कई बिजली इकाइयां बहुत अच्छा उत्पादन कर रही हैं और हीट रेट तथा फ्यूल कंजम्प्शन के मानकों को पूरा करती हैं। डेप्रिशिएट होने के कारण इनकी फिक्स कास्ट नगण्य हो चुकी है, जिससे इनकी उत्पादन लागत बहुत कम आ रही है। इनके बंद होने से वितरण कंपनियों के लिए 50 से 80 पैसे प्रति यूनिट तक बिजली महंगी हो जाएगी, जिसका भार अंततः आम उपभोक्ता पर ही डाला जाएगा।  इन सभी समझौतों को रद्द किया जाना चाहिए, ताकि जनता पर इनका बोझ न पड़े।


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