प्रदेश में हिंदी को शांता ने दी थी विशेष पहचान
पालमपुर — 1977 में प्रदेश में पहली बार गठित भाजपा सरकार के शासनकाल में ही पहली बार सरकारी विभागों में बड़े स्तर पर हिंदी के प्रयोग के प्रयास शुरू किए गए थे। इसके पीछे तत्कालीन मुख्यमंत्री और हिंदी प्रेमी शांता कुमार की सोच थी। सरकारी कामकाज में हिंदी का अधिक प्रयोग हो, इसका प्रदेश में सर्वप्रथम प्रयास शांता कुमार ने किया था, जब 1977 में वह पहली बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे। जानकारी के अनुसार शांता कुमार ने ही प्रशासन में हिंदी को लागू करवाया था और हिंदी के अधिक प्रयोग को प्रोत्साहित किया था। इतना ही नहीं हिंदी को अधिक से अधिक बढ़ावा देने के लिए शांता कुमार ने सरकारी विभागों में प्रदान किए गए अंग्रेजी के सभी टाइपराइटर के की-बोर्ड बदलने के आदेश दिए थे, ताकि टाइप का ज्यादातर काम हिंदी में किया जाए। गौर रहे कि राजनेता के साथ-साथ सांसद शांता कुमार हिंदी के प्रतिष्ठित लेखक भी हैं। उन्होंने हिंदी साहित्य को अब तक एक दर्जन से अधिक पुस्तकें दी हैं। शांता कुमार की सभी रचनाओं का एक संयुक्त संग्रह ‘समग्र साहित्य’ के नाम से तीन खंडों में दिल्ली के प्रसिद्ध प्रकाशक ‘किताब घर’ द्वारा प्रकाशित किया गया है। हिंदी भाषा के प्रति शांता कुमार का समर्पण इसी बात से दिखता है कि उनके द्वारा अब तक लिखी गई तमाम पुस्तकें हिंदी में हैं। गौर हो कि शांता कुमार हर स्तर पर शुरू से हिंदी में ही पत्राचार करते आए हैं। शांता कुमार की धर्मपत्नी संतोषा शैलजा भी हिंदी की प्रतिभावान लेखिका हैं।
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