…फिर किसी ने मुड़ कर नहीं देखी कांगड़ा कांप्लेक्स-कैफे की नींव

By: Sep 23rd, 2017 12:40 am

1992 में शांता कुमार ने किया था शिलान्यास, 17 दिन बाद सरकार गई और

newsकांगड़ा – प्रदेश के शासकों ने अढ़ाई दशकों के दौरान कांगड़ा शहर के तहसील चौक के समीप लगे शिलान्यास पत्थर के साथ जिस प्रकार से छल किया है, वह मौजूदा राजनीति का जीता जागता उदाहरण है। यहां 28 नवंबर, 1992 को उस समय के मुख्यमंत्री शांता कुमार ने शॉपिंग कांप्लेक्स, बचत भवन व कैफे बनाने की योजना का शिलान्यास किया था, लेकिन शिलान्यास के महज 17 दिन बाद ही 15 दिसंबर, 1992 को शांता सरकार गिरा दी गई और इसी के साथ ही यह योजना भी धराशायी हो गई। उसके बाद प्रदेश में कई शासक बदले, भाजपा व कांग्रेस की सरकारें आईं, लेकिन यह शिलान्यास पट्टिका लावारिस हालत में पड़ी रही। इसके आसपास आज भी गंदगी का साम्राज्य है और आवारा पशु यहां बैठे रहते हैं। वैसे मौजूदा वीरभद्र सरकार से उम्मीदें बंधी थीं कि इस बार अवश्य यहां कोई योजना बनेगी और इसका लाभ कांगड़ा को मिलेगा। इसके लिए सब्जबाग भी खूब दिखाए गए। बाकायदा यहां बज्रेश्वरी सदन बनाने का ऐलान भी डेढ़ साल पहले मुख्यमंत्री से करवा दिया गया। इससे पहले तकीपुर में कालेज भवन के शिलान्यास से पहले स्वयं मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने मौका मुआयना किया। उसके बाद तकीपुर में बज्रेश्वरी सदन बनाने की घोषणा कर दी गई। कहा गया कि यहां शॉपिंग कांप्लेक्स, आधुनिक स्नान गृह व टायलट तथा कैफे के साथ-साथ क्लासरूम भी बनाया जाएगा, लेकिन हुआ कुछ भी नहीं। पहले परिवहन मंत्री जीएस बाली ने भी यहां आधुनिक भवन बनाने की हामी भरी थी। फिर स्वयं मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने आधुनिक बज्रेश्वरी सदन बनाने का ऐलान कर दिया। कांगड़ा के स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर यहां कुछ बनना ही नहीं है तो झूठी घोषणाएं कर जनता को गुमराह क्यों किया जा रहा है। चुनावी साल से पहले हुए ऐलान से लोगों को उम्मीद थी कि शहर के प्रवेश द्वार पर आधुनिक कांप्लेक्स का तोहफा लोगों को मिलेगा, लेकिन इस योजना के लिए धन का प्रावधान होना तो दूर कोई खाका भी न तैयार हुआ। पहले भी शांता सरकार ने बिना बजट के योजना का शिलान्यास कर दिया और अब मौजूदा मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने यहां बज्रेश्वरी सदन बनाने का ऐलान कर दिया, लेकिन इसके लिए बजट में कोई प्रावधान नहीं किया गया। दीगर है कि प्रस्तावित कांप्लेक्स वाले स्थल पर सरकारें सालों में कुछ बना तो नहीं पाई हैं, लेकिन करोड़ों रुपए के इस भवन को तिपहिया वाहन चालकों व टैक्सी चालकों को उधार में जरूर दे रखा है। अक्तूबर, 2014 में यहां मामूली फेरबदल के साथ इस योजना को पूरा करने की सैद्धांतिक मंजूरी परिवहन मंत्री जीएस बाली ने दे दी और फिर इसे मुख्यमंत्री वीरभद्र ने सहमति की मुहर औपचारिक घोषणा कर लगा दी, पर यह योजना 25 साल बाद भी अधूरी है।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App