बच्चें को पसंद नहीं सुजानपुर बाल आश्रम

By: Sep 8th, 2017 12:01 am

सुजानपुर  —  राज्य सरकार की तमाम सुविधाएं मिलने के बावजूद सुजानपुर का बाल आश्रम यहां पर रहने वाले जरूरतमंद बच्चों की लगातार नापसंद बन रहा है। यही कारण है कि यहां से बच्चे भागने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। घर जैसा माहौल बनाने के बावजूद प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन के दावे पूरी तरह फीके नजर आ रहे हैं। गौरतलब है कि सुजानपुर बाल आश्रम से बीते पांच छह माह के दौरान आधा दर्जन भर छात्र यहां से भाग चुके हैं। उनके द्वारा यहां से अपने आप को भागने में कामयाब बनाया गया है। बाल आश्रम प्रशासन एवं जिला प्रशासन के सहयोग से सुरक्षा के मद्देनजर लगाई गई तमाम दीवारें इन छात्रों ने लांघते हुए बाल आश्रम प्रशासन के तमाम नियम दरकिनार करते हुए यहां से भागने में कामयाबी हासिल की है। हालांकि पुलिस प्रशासन द्वारा अब तक सभी भागे गए छात्रों को पकड़कर पुन बाल आश्रम प्रशासन के पास पहुंचा दिया गया है, लेकिन चोर सिपाही का यह ऐसा खेल कब तक चलेगा इसका किसी को नहीं पता। बाल आश्रम सुजानपुर में मौजूदा समय में दो दर्जन भर जरूरतमंद बच्चे अपना जीवन बसर कर रहे हैं हैं, जिन्हें बाल आश्रम प्रशासन एवं जिला उपायुक्त के प्रयासों से स्वास्थ्य शिक्षा और खेलों के साथ-साथ तमाम सुविधाएं मुहैया करवाई जा रही हैं। समय-समय पर छात्रों के मनोरंजन के लिए ज्ञानवर्धक फिल्में दिखाना घूमने-फिरने ले जाना प्रदेश सरकार के आला अधिकारियों का बाल आश्रम सुजानपुर का भ्रमण करवाना छात्रों से बातचीत करना उन्हें यहां किसी तरह का कष्ट नहीं है। तमाम ऐसे सवाल अधिकारी द्वारा छात्रों से पूछना इस तरह की सुविधाएं दी गई हैं, लेकिन फिर भी यह छात्र यहां पर रहना क्यों नहीं चाहते। क्यों आए दिन यहां से भागने में कामयाब हो जाते हैं। इस बात का पता अभी तक नहीं चल पाया है। हाल ही में दो सप्ताह पहले उपायुक्त हमीरपुर मदन चौहान ने अपनी बेटी निवेदिता के जन्मदिन की पार्टी का आयोजन इसी बाल आश्रम में किया था। इसमें उपायुक्त व उनकी पत्नी और बेटी शामिल थी, ने यहां पहुंच बच्चों से ही केक कटवाया और रिफ्रेशमेंट के तौर पर पार्टी थी। बावजूद यहां पर छात्र रहना नहीं चाहते हैं और बाल आश्रम को नापसंद कर रहे हैं। यही कारण है कि प्रत्येक माह एक दो छात्र यहां से रफूचक्कर हो जाते हैं, जिन्हें बाद में पुलिस सुजानपुर की सहायता से ढूंढना पड़ता है और जब वापसी में उनसे पूछा जाता है कि वह यहां से क्यों भागे थे, तो उनका सीधे तौर पर यही जवाब होता है कि हमारा यहां दिल नहीं लगता हम यहां रहना नहीं चाहते। वहीं उपायुक्त ने आश्रम की चारदीवारी को बढ़ाकर उसके ऊपर लोहे की तार लगवा दी थी, लेकिन उसके बावजूद ये छात्र यहां से भागने में कामयाब हो गए। बाल आश्रम में तैनात प्रभारी तिलकराज ने बताया कि छात्रों को बेहत्तर से बेहत्तर सुविधाएं मुहैया करवाई जा रही हैं, लेकिन फिर भी छात्र यहां क्यों नहीं रहना चाहते। इस पर कुछ नहीं कहा जा सकता है।


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