बस अड्डे के नाम पर 20 साल से ठगा जा रहा ठियोग

By: Sep 20th, 2017 12:15 am

जनोगघाट में दो बार हो चुका है शिलान्यास, पर पूरा नहीं हो रहा काम, 17 करोड़ रुपए का है प्रोजेक्ट

newsठियोग— ठियोग में पिछले 20 सालों से बस स्टैंड का मुद्दा चुनावी सुर्खियों में रहा है। दो बार शिलान्यास होने के बावजूद ठियोग के लोगों की इस प्रमुख मांग को पूरा नहीं किया गया है। वर्तमान में ठियोग में बस स्टैंड राष्ट्रीय उच्च मार्ग-22 के किनारे चल रहा है। जहां जगह की तंगी के कारण आए दिन लोगों को परेशानी तो हो रही है, साथ ही यहां पर कई बड़े हादसे भी पेश आ चुके हैं, जिनमें हाल ही में पिछले महीने ठियोग में बुकिंग आफिस की बिल्डिंग का गिरना भी इसी का परिणाम था।  ऊपरी शिमला के रोहडू, रामपुर, कोटखाई, जुब्बल, चौपाल के लिए यही एक प्रमुख मार्ग है, जहां से प्रतिदिन सैकड़ों बसों के अलावा भारी संख्यां में छोटे वाहनों की आवाजाही होती है, लेकिन इतना अधिक ट्रैफिक होने के बाद भी परिवहन निगम के पास ठियोग बस स्टैंड में चार बसों का खड़ा करने की जगह नहीं है, जिस कारण आए दिन पेट्रोल पंप से विश्राम गृह तक लंबे जाम की स्थिति बनी रहती है। ठियोग में वर्तमान में चल रहे बस स्टैंड के साथ एचआरटीसी के पास दो बीघा से ज्यादा जमीन है, लेकिन इस पर भी अतिक्रमण के कारण यह जमीन बेकार पड़ी हुई है। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद 14 नवंबर, 2013 को ठियोग के जनोगघाट में 16 बीघा भूमि पर मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने बस स्टैंड का शिलान्यास किया था, जहां पर एक आधुनिक स्तर के बस स्टैंड का निर्माण किया जाना है, लेकिन पौने पांच वर्ष का समय बीत जाने के बावजूद यहां पर बस स्टैंड के पहले चरण का काम कुछ हद तक पूरा होने जा रहा है, लेकिन यह कार्य बेहद धीमी गति से चल रहा है। हालांकि मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह द्वारा वर्ष 1997 में इसी भूमि पर बस स्टैंड के लिए शिलान्यास किया जा चुका है, लेकिन इसके बाद राजनीतिक उपेक्षा के चलते यह प्रोसेस फाइलों में दफन हो गया। अब दोबारा से इसी भूमि पर मुख्यमंत्री के द्वारा बस स्टैंड को लेकर शिलान्यास किया था, जहां पर निर्माण कार्य चला हुआ है।

ठियोग में सौ करोड़ के शिलान्यास

कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आते ही ठियोग में करीब 100 करोड़ के शिलान्यास जरूर किए थे, लेकिन उन कामों को सरकार पूरा नहीं कर पाई है। योजनाओं की औपचारिकताओं को पूरा करने में सरकार ने करीब तीन साल लगा दिए और अब जाकर इनमें कहीं गति आई है।

16 बीघा जमीन पर निर्माण

ठियोग के जनोगघाट में दो बार 16 बीघा भूमि पर बस स्टैंड के लिए शिलान्यास हो चुके हैं। वर्ष 1997 में इसी जगह पर शिलान्यास हुआ था, जबकि 2013 में फिर से इसी जगह पर शिलान्यास किया गया, लेकिन निर्माण अब तक नहीं हो पाया है।

यह कहती है स्थानीय जनता

स्थानीय लोगों का मत है कि वे 20 सालों से अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। ठियोग में यदि बस स्टैंड बन जाए तो ट्रैफिक की समस्या हल हो जाएगी।

एनएच-22 किनारे बस स्टैंड

ठियोग में एनएच-22 के किनारे बस स्टैंड चल रहा है, जो कि बेहद तंग जगह है। यहां एक महिला की बस के नीचे आने से मौत भी हो चुकी है, जबकि बुकिंग आफिस भवन गिरने से चार लोगों की मौत अभी हाल ही में हुई थी।

टै्रफिक की समस्या होगी हल

बस स्टैंड बनने से ठियोग में कुछ हद तक टै्रफिक की समस्या का भी हल हो सकता है, क्योंकि जगह कम होने से आए दिन यहां पर भारी जाम लगा रहता है।


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