वन भूमि पर खनन का जिम्मेदार होगा विभाग

By: Sep 12th, 2017 12:15 am

खनन नीति में तीन नए सुधार

newsशिमला – प्रदेश सरकार ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशों के मुताबिक प्रदेश की खनन नीति में संशोधन किए हैं। इसमें तीन और सुधार शामिल किए गए हैं, जिससे अवैध खनन पर प्रभावी तरीके से रोक लगाई जा सके। प्रदेश में अब सरकार ने वन भूमि पर भी खनन की इजाजत दे दी है, जिसके लिए अधिकारिक रूप से खनन पट्टों की नीलामी की गई है। कुछ जिलों में यह काम हो चुका है। ऐसे में ग्रीन ट्रिब्यूनल ने कुछ जरूरी संशोधन सुझाए थे, जिस पर कानून विभाग की राय लेने के बाद उद्योग विभाग ने पालिसी में इन्हें शामिल कर दिया है। सोमवार को इस संबंध में जारी किए गए आदेशों के अनुसार जिस वन भूमि पर खनन होगा, उसमें अवैध खननकारियों के खिलाफ पुलिस शिकायत करने का अधिकार फोरेस्ट विभाग का होगा। वन विभाग को खुद इसके लिए पुलिस में एफआईआर करवानी होगी, जबकि अभी तक इसकी जिम्मेदारी भी उद्योग विभाग के खनन विंग पर डाली जाती थी। इससे वन विभाग की जिम्मेदारी बढ़ जाएगी, जिसे अवैध खनन को रोकने के लिए खुद भी गंभीर प्रयास करने होंगे। इसके साथ प्रदेश से बाहर खनन सामग्री ले जाने वाले वाहनों को ट्रांजिट पास देने का काम संबंधित क्षेत्र के माइनिंग अधिकारी करेंगे, जो इस पर नजर रखेंगे कि यहां से अवैध तरीके से सामग्री बाहर न ले जाई जा सके। उन पर एक और जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसके साथ अवैध माइनिंग पर लगाम कसने के नजरिए से जिलाधीशों को ड्यूटी होल्डरों के साथ तिमाही समीक्षा बैठक करने को कहा गया है, ताकि उनसे विस्तृत जानकारी मिले और जिलाधीश अपने स्तर पर भी कदम उठा सकें। जिन रास्तों से अवैध खनन हो रहा है, उन रास्तों पर प्रभावी तरीके से रोक लगाने का काम जिलाधीश देखेंगे। जिलाधीश तिमाही आधार पर जो समीक्षा बैठकें करेंगे, उनकी रिपोर्ट वह निदेशक उद्योग को नियमित आधार पर भेजेंगे। खनन सामग्री को चिन्हित करके जिलों के अपने बनाए जाने वाले सर्वे डाक्यूमेंट में दर्ज किया जाएगा।


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