शब्द वृत्ति

By: Sep 22nd, 2017 12:02 am

बुलेट ट्रेन

(डा. सत्येंद्र शर्मा, चिंबलहार, पालमपुर )

शिंजो का स्वागत हुआ, बन खास मेहमान,

बगल में दबी सुनहरी, बुलेट ट्रेन श्रीमान।

सजा हुआ था साबरमती, खूब सजे थे तोरणद्वार,

हृदय से भावभीनी हुई, दिल खोल किया सत्कार।

मोदी-शिंजो का हुआ, फिर से अद्भुत मेल,

अंबर में उड़ने लगी, पंखों वाली रेल।

क्यों ड्रैगन जल-भुन गया, क्या रोने की बात?

क्यों मरोड़ पड़ने लगा, बदल रहे हालात।

साक्षर परिवेश

साक्षर बनें हम सभी, साक्षर हो परिवेश,

साक्षरता में अग्रणी हों, सिरमौर बने प्रदेश।

हो सिरमौर परिवेश, एक न छूटे भाई,

क्या मुन्नियां, क्या मौसी, मामी, चाची, ताई।

बिन शिक्षा पशु ही रहे, कहला रहे गंवार,

हर दम धक्के खा रहे, जीना है बेकार।

साक्षरता को धन नहीं, इच्छा का है अभाव,

शिक्षा बंटती मुफ्त में, ले लो तुम बेभाव।

दफ्तर में, बाजार में, मची हुई है लूट,

अनपढ़ को सब लूटते, कहीं नहीं है छूट।


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