शी जिनपिंग-सेना में दरार

By: Sep 8th, 2017 12:05 am

डोकलाम विवाद पर राष्ट्रपति पर बढ़ा दबाव, महज 150 मीटर ही पीछे हटी सेनाएं

NEWSनई दिल्ली— डोकलाम में भारत और चीन की सेनाओं के विवादित क्षेत्र से पीछे हट जाने का भले ही ऐलान हो चुका है, लेकिन यह बात सामने आई है कि सेनाएं महज 150-150 मीटर और पीछे हटी हैं। बताया जा रहा है कि चीन की सेना के दबाव के कारण यह स्थिति पैदा हुई है, जबकि चीन का राजनीतिक नेतृत्व गतिरोध पूरी तरह खत्म करने के पक्ष में है। 16 जून से शुरू हुए डोकलाम गतिरोध के दौरान दोनों देशों की सेनाएं महज 150 मीटर की दूरी पर आमने-सामने थीं। गतिरोध सुलझाने के लिए भारत और चीन के बीच सहमति बनी थी कि दोनों देशों की सेनाओं को आमने-सामने से हटाया जाए। अब बताया जा रहा है सेनाएं वहां से महज 150 मीटर और पीछे हटी हैं। सूत्रों का कहना है कि चीन का राजनीतिक नेतृत्व अब भी डोकलाम में 16 जून से पहले की स्थिति कायम करने के लिए तैयार है, लेकिन पीपल्स लिबरेशन आर्मी यानी चीन की सेना उसे रोके हुए है। यह चीनी सेना का ही दबाव था कि डोकलाम में पहले भारतीय सैनिकों के हटने और फिर चीनी सैनिकों के हटने की शर्त रखी गई। भारत ने इस पर अमल करते हुए अपने सैनिकों के पीछे हटने की सूचना चीन को तय समय पर दे दी, लेकिन चीनी सेना ने अपनी ओर से संदेश देने में देरी की। काफी हीलाहवाली के बाद चीनी सैनिक पीछे हटे थे। अभी यह साफ नहीं कि सेनाएं पूरी तरह पीछे कब तक हटेंगी और 16 जून से पहले की स्थिति कब बहाल होगी। भारत और चीन के राजनीतिक नेतृत्व की पहल से ही डोकलाम का गतिरोध हल हुआ था। जी-20 सम्मेलन के दौरान हैम्बर्ग में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग अलग से मिले और गतिरोध सुलझाने का रास्ता साफ किया। इसके बाद दोनों देशों के बीच राजनयिक बातचीत के आधार पर सेनाओं के पीछे हटने पर सहमति बनी थी। इसी सहमति के बाद प्रधानमंत्री ब्रिक्स देशों के सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए चीन गए और उनकी वहां के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ दोबारा अच्छे माहौल में बातचीत हुई और संबंध सुधारने पर चर्चा हुई।

मतभेद नियंत्रण से बाहर न होने पाए

पेइचिंग — चीन ने कहा कि चीन और भारत को एक दूसरे को प्रतिद्वंद्वी या खतरा समझने वाली मानसिकता को दूर करके यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके आपसी मतभेद नियंत्रण से बाहर न जाने पाएं। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा पिछले कुछ महीनों में द्विपक्षीय संबंध स्पष्ट कारणों से प्रभावित और कमजोर हुए हैं। उन्होंने ने डोकलाम में चले गतिरोध का जिक्र किए बिना कहा कि आगे बढ़ते हुए, दोनों पक्षों को दोनों नेताओं के बीच जो सहमति हुई है, उस पर साथ काम करने और यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि द्विपक्षीय संबंध पटरी पर रहें।


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