शोधार्थियों पर भारी पड़ेगा कापी-पेस्ट पैटर्न

By: Sep 5th, 2017 12:02 am

पीएचडी थीसिस में नकल पर रद्द होगा पंजीकरण

 शिमला— विश्वविद्यालयों में शोध कार्य कर रहे शोधार्थियों को अपने थीसिस को पूरी वास्तविकता के साथ शोध कर तैयार करना होगा। थीसिस में नकल यानी कापी-पेस्ट करने का पैटर्न शोधार्थियों पर भारी पड़ सकता है। ऐसा करने वाले रिसर्च स्कॉलर का पंजीकरण तक भी रद्द किया जा सकता है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने ही एमफिल, पीएचडी, थीसिस में नकल करने के तरीके पर नियम संशोधित कर रोक लगा दी है। अब इसी दिशा में एक और कड़ा कदम उठाते हुए निर्देशों और नियमों के बाद ऐसा करने वाले शोधार्थियों को सजा देने के लिए तैयारी आयोग ने कर ली है। एक मसौदा इस पूरी प्रक्रिया के नियमों के तहत तैयार किया गया है। मसौदे में तीन तरह के प्रावधान शोधार्थियों की पीएचडी थीसिस के लिए निर्धारित किए गए हैं। हालांकि मसौदे पर अभी अंतिम मंजूरी की मुहर लगना बाकी है, लेकिन इसमें शामिल किए गए नियम शोधार्थियों पर भारी पड़ेंगे। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की ओर से प्रोमोशन ऑफ अकादमिक इंटीग्रिटी एंड प्रिवेशन ऑफ प्लेरिज्म इन-हायर-एजुकेशन इंस्टीच्यूशन रेगुलेशन 2017 नाम से मसौदा तैयार किया गया है। इसमें दिए गए तीन प्रावधानों में अगर किसी छात्र की थीसिस का 10 से 40 फीसदी भाग किसी अन्य थीसिस से मिलता है, तो ऐसे में इसमें सुधार कर वह भाग हटाकर थीसिस दोबारा जमा करने के लिए शोधार्थी को छह माह का समय दिया जाएगा। इसके अलावा अगर किसी शोधार्थी की थीसिस का 40 से 60 फीसदी भाग किसी अन्य थीसिस से मिलता है या कापी किया गया है, तो ऐसे में उस भाग को हटाकर दोबारा अपनी थीसिस तैयार करने के लिए 18 माह का समय दिया जाएगा। तीसरे विकल्प में अगर 60 फीसदी से अधिक नकल थीसिस में की गई है, तो शोधार्थी का पंजीकरण शोध आयोग रद्द कर देगा।

30 सितंबर तक दें सुझाव

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की ओर से थीसिस में नकल पर तैयार मसौदे पर आम लोगों व छात्रों के सुझाव मांगे गए हैं। इसके लिए 30 सितंबर तक का समय दिया गया है। सुझाव pgmhei.2017@gmail.com पर भेजने होंगे।


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