अतीत में करियर का भविष्य आर्कियोलॉजी

By: Oct 18th, 2017 12:15 am

अगर आप इतिहास को खंगालने के शौकीन हैं और इसके जरिए कई तरह की नई चीजों का पता लगाना चाहते हैं, तो आर्कियोलॉजी के क्षेत्र में आपके लिए करियर की बहुत उजली संभावनाएं हैं। आर्कियोलॉजी में करियर बनाने के लिए उन विद्यार्थियों को आगे आना चाहिए जो लुप्त समाज, सभ्यताओं, उनके इतिहास तथा अवशेषों के बारे में रुचि रखते हैं…

बेशक हम आधुनिकता में कितना भी आगे बढ़ जाएं, पर इतिहास और उसकी धरोहरों को तो सहेजना ही पड़े़ेगा। आगे आने वाली पीढ़ी अपने इतिहास को जान सके, इसके लिए इन धरोहरों को जिंदा रखना जरूरी है। इस संबंध में आर्कियोलॉजी से बेहतर विकल्प कोई नहीं है। अगर आप देश की धरोहर और इतिहास में रुचि रखते हैं तो आर्कियोलॉजिस्ट के रूप में एक अच्छे करियर की शुरुआत कर सकते हैं। इसमें आपको नित नई चीजें जानने को मिलेंगी। यदि आपमें ऐतिहासिक चीजों को जानने और उनके बारे में तरह-तरह की जानकारियां पता करने की इच्छा है तो अपनी इस इच्छा को करियर के रूप में भी तबदील कर सकते हैं। पृथ्वी के भीतर छिपी प्राचीन धरोहरों को सहेजने और उसकी मदद से अतीत की जानकारी प्राप्त करना आर्कियोलॉजी के अंतर्गत आता है। आर्कियोलॉजी हमें हमारे इतिहास से रू-ब-रू करवाती है। अगर आप इतिहास को खंगालने के शौकीन हैं और इसके जरिए कई तरह की नई चीजों का पता लगाना चाहते हैं, तो आर्कियोलॉजी के क्षेत्र में आपके लिए करियर की बहुत उजली संभावनाएं हैं। आर्कियोलॉजी में करियर बनाने के लिए उन विद्यार्थियों को आगे आना चाहि, जो लुप्त समाज, सभ्यताओं और उनके इतिहास तथा अवशेषों के बारे में रुचि रखते हैं।

शैक्षणिक योग्यता

ज्यादातर विश्वविद्यालयों में आर्कियोलॉजी की पढ़ाई  इतिहास विभाग के अंतर्गत होती है। विशेषकर परास्नातक स्तर पर ही इस विषय की पढ़ाई होती है। यानी पुरातत्त्वविद बनने के लिए स्नातक की डिग्री का होना अनिवार्य है। अगर स्नातक इतिहास, समाजशास्त्र और मानव से किया है, तो परास्नातक स्तर पर पुरातत्त्व विज्ञान समझने में आसानी होती है।

क्या करते हैं आर्कियोलॉजिस्ट

आर्कियोलॉजिस्ट प्राचीन भौतिक अवशेषों की खोज करते हैं, उनका अध्ययन व परीक्षण करते हैं और फिर अपने तार्किक निष्कर्ष के आधार पर इतिहास की व्याख्या प्रस्तुत करते हैं। इस प्रक्रिया के कारण जहां एक ओर दुनिया को इतिहास की सही व सच्ची जानकारी प्राप्त होती है, वहीं अंधविश्वास और गलतफहमियों का निपटारा भी इस प्रकार की महत्त्वपूर्ण पुरातात्विक खोजों से संभव होता है।

जरूरी योग्यता

एक बेहतरीन आर्कियोलॉजिस्ट अथवा म्यूजियम प्रोफेशनल बनने के लिए प्लीस्टोसीन पीरियड अथवा क्लासिकल लैंग्वेज, मसलन पाली, अपभ्रंश, संस्कृत और अरेबियन भाषाओं में से किसी एक की जानकारी आपको कामयाबी की राह पर आगे ले जा सकती है।

रोजगार के विकल्प

आर्कियोलॉजी में विशेषज्ञता प्राप्त करने के बाद भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग, नई दिल्ली और राज्यों में स्थित इसके क्षेत्रीय केंद्र, विभिन्न संग्रहालय, कला दीर्घाएं, एनजीओ और विश्वविद्यालय, विदेश मंत्रालय की हिस्टोरिकल डिवीजन, इंडियन काउंसिल ऑफ  हिस्टोरिकल रिसर्च, शिक्षा मंत्रालय, पर्यटन मंत्रालय, फिल्म मंत्रालय, भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार आदि जगहों पर इस क्षेत्र में रोजगार के अच्छे अवसर हैं। सरकारी क्षेत्र के साथ-साथ निजी क्षेत्र में संभावनाओं के अलावा विदेशों में भी काफी ज्यादा इस फील्ड में स्कोप हैं।

वेतनमान

आर्कियोलॉजिस्ट की मांग सरकारी और निजी हर जगह है। इन दिनों कारपोरेट हाउसेज में भी नियुक्ति हो रही है। वे अपने रिकार्ड्स के रखरखाव के लिए एक्सपर्ट की नियुक्ति करते हैं। इसी तरह रिचर्स के लिए भी इसकी मांग रहती है। आर्कियोलॉजी सर्वे ऑफ  इंडिया में आर्कियोलॉजिस्ट पदों के लिए संघ लोक सेवा आयोग हर वर्ष परीक्षा आयोजित करता है। करियर के इस क्षेत्र में आय 20 हजार से शुरू होती है। उसके बाद पदोन्नति के आधार पर उसमें बढ़ोतरी होती है। अध्यापन से जुड़े क्षेत्रों में 30 से 40 हजार तक शुरुआती वेतन मिलता है। राज्यों के आर्कियोलॉजी डिपार्टमेंट में भी असिस्टेंट आर्कियोलॉजिस्ट की मांग भी रहती है। वहीं नेट क्वालिफाई करके लेक्चरशिप भी कर सकते हैं। आर्कियोलॉजी फील्ड में किसी भी पद पर न्यूनतम सैलरी 25 हजार रुपए है। उसके बाद सैलरी का निर्धारण पद और अनुभव के आधार पर होता है।

क्या हैं पर्सनल स्किल

आर्कियोलॉजी न केवल दिलचस्प विषय है बल्कि इसमें कार्य करने वाले प्रोफेशनल्स के लिए चुनौतियों में भरा क्षेत्र भी है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए अच्छी विश्लेषणात्मक क्षमता, तार्किक सोच, कार्य के प्रति समर्पण जैसे महत्त्वपूर्ण गुण जरूर होने चाहिएं। कला की समझ और उसकी पहचान भी आपको औरों से बेहतर बनाने में मदद करेगी।

हकीकत से रू-ब-रू

समय-समय पर पुरातात्विक दस्तावेज और वस्तुएं खोजी जाती रही हैं जो विगत का सही-सही लेखा-जोखा प्रस्तुत करने की दिशा में अहम भूमिका का निर्वाह करती हैं और हमें और अधिक वैज्ञानिक ज्ञान देती हैं। आर्कियोलॉजिकल साइंस हमें ऐतिहासिक अंधविश्वासों और पूर्वाग्रहों से निजात दिलाकर वास्तविक दृष्टिकोण प्रदान करती है।

प्रमुख शिक्षण संस्थान

* दिल्ली इंस्टीच्यूट ऑफ हेरिटेज रिसर्च एंड मैनेजमेंट, नई दिल्ली

* डा. हरि सिंह गौड़ विश्वविद्यालय, सागर, मध्य प्रदेश

* बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी वाराणसी, उत्तर प्रदेश

* जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर, मध्य प्रदेश

* इंस्टीच्यूट ऑफ आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, नई दिल्ली

* पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़

* नेशनल आर्काइव्स ऑफ इंडिया, नई दिल्ली

इतिहास में रुचि होना जरूरी

डा. अरुण के सिंह

हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला

आर्कियोलॉजी में करियर से संबंधित विस्तृत जानकारी प्राप्त करने के लिए हमने अरुण के सिंह से बातचीत की। प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश…

आर्कियोलॉजी में वर्तमान दौर में करियर की क्या संभावनाएं हैं?

रोजगार के विकल्प आर्कियोलॉजी में विशेषज्ञता प्राप्त करने के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग, नई दिल्ली और राज्यों में स्थित इसके क्षेत्रीय केंद्र, विभिन्न संग्राहलय, कला दीर्घाएं, एनजीओ और विश्वविद्यालय, विदेश मंत्रालय की हिस्टोरिकल डिवीजन, इंडियन काउंसिल ऑफ हिस्टोरिकल रिसर्च, शिक्षा मंत्रालय, पर्यटन मंत्रालय, फिल्म मंत्रालय,भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार आदि जगहों पर इस क्षेत्र में रोजगार के अच्छे अवसर हैं। सरकारी क्षेत्र के साथ-साथ निजी क्षेत्र में संभावनाओं के अलावा विदेशों में भी काफी स्कोप हैं। इसके साथ कालेजों, विश्वविद्यालयों में भी शिक्षक के रूप में सेवाएं दे सकते हैं।

इस फील्ड में करियर के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता क्या होती है?

आर्कियोलॉजी की फील्ड में आने के लिए छात्र जमा दो के स्तर पर हिस्ट्री विषय पढ़ा होना चाहिए। इसके साथ ही विश्वविद्यालयों में आर्कियोलॉजी की पढ़ाई इतिहास विभाग के अंतर्गत  ही होती है। विशेषकर परास्नातक स्तर पर ही इस विषय की पढ़ाई होती है। यानी पुरातत्वविद बनने के लिए स्नातक की डिग्री का होना आवश्यक है। अगर स्नातक इतिहास, समाजशास्त्र और मानव विज्ञान से किया है, तो परास्नातक स्तर पर पुरातत्व विज्ञान को समझने में आसानी होती है। इसके साथ ही साइंस विषय से जुड़े छात्र भी आर्कियोलॉजी में प्रवेश कर सकते है। आर्कियोलॉजी में एमए के बाद छात्र डिप्लोमा कोर्स भी कर सकते है।

आर्कियोलॉजी में करियर बनाने के लिए पढ़ाई के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

आर्कियोलॉजी में करियर बनाने के लिए इस विषय की पढ़ाई कर रहे छात्रों को अपने प्रदेश के सुनहरे इतिहास और संस्कृति के प्रति जागरूक होना बेहद जरूरी है। आर्कियोलॉजी में छात्र अपना करियर तभी बना सकता है अगर वह अपने देश और प्रदेश के इतिहास में विशेष रुचि रखता हो।

आरंभिक आय इस फील्ड में कितनी होती है?

आर्कियोलॉजी में जहां तक बात की जाए वेतन की, तो यह कार्य क्षेत्र और पद पर निर्भर करता है। अगर आप राज्य के आर्कियोलॉजी डिपार्टमेंट में और लेक्चररशिप में जाते हैं, तो इस फील्ड में वेतन 25 से 50 हजार या इससे अधिक भी हो सकता है।

जो युवा इस क्षेत्र में आना चाह रहे हैं, उनके लिए क्या प्रेरणा संदेश है?

मेरा संदेश यही है कि इस फील्ड में वही व्यक्ति आए, जिसकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक खोजों में रुचि है। जुनूनी लोग ही इस करियर में पदार्पण करें,क्योंकि इस फील्ड में कई घंटों से लेकर कई दिनों तक खदानों और ऊबड़-खाबड़ क्षेत्रों में टैंट लगाकर रहना पड़ता है। यानी प्रतिकूल परिस्थितियों में रह सकने वाला ही इस करियर में कामयाब हो सकता है।

-भावना शर्मा, शिमला


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