‘इक चतुर नार करके सिंगार’

By: Oct 24th, 2017 12:05 am

भारतीय सिनेमा जगत में मन्ना डे को एक ऐसे पार्श्वगायक के तौर पर याद किया जाता है, जिन्होंने अपने लाजवाब पार्श्वगायन के जरिए शास्त्रीय संगीत को विशिष्ट पहचान दिलाई। प्रबोध चंद्र डे उर्फ मन्ना डे का जन्म पहली मई, 1919 को कोलकाता में हुआ था। 1943 में फिल्म ‘तमन्ना’ में बतौर पार्श्वगायक उन्हें सुरैया के साथ गाने का मौका मिला। 1950 में संगीतकार एसडी बर्मन की फिल्म ‘मशाल’ में मन्ना डे को ‘ऊपर गगन विशाल’ गीत गाने का मौका मिला। 1961 में संगीत निर्देशक सलिल चौधरी के संगीत निर्देशन में फिल्म ‘काबुली वाला’ की सफलता के बाद मन्ना डे शोहरत की बुंलदियों पर जा पहुंचे। प्राण के लिए उन्होंने फिल्म ‘उपकार’ में ‘कसमे वादे प्यार वफा’ और ‘जंजीर’ में ‘यारी है ईमान मेरा यार मेरी जिंदगी’ जैसे गीत गाए। उसी दौर में उन्होंने फिल्म ‘पड़ोसन’ में हास्य अभिनेता महमूद के लिए ‘इक चतुर नार करके सिंगार’ गीत गाया, तो उन्हें महमूद की आवाज समझा जाने लगा। मन्ना डे को फिल्मों में उल्लेखनीय योगदान के लिए 1971 में पदमश्री, 2005 में पदमभूषण और 2007 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। मन्ना डे ने अपने पांच दशक के करियर में लगभग 3500 गीत गाए। मन्ना डे 24 अक्तूबर, 2013 को इस दुनिया को अलविदा कह गए।


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