इस साल 73 बाघों की मौत

By: Oct 24th, 2017 12:05 am

इस साल देश के अलग-अलग हिस्सों में हुई बाघ की मौतों के चिंताजनक आंकड़ें सामने आए हैं। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के अनुसार, साल 2017 में अक्तूबर महीने तक 73 बाघों की मौत हुई है। इनमें सबसे ज्यादा बाघ मध्य प्रदेश में मृत पाए गए, जहां 15 अक्तूबर तक 18 बाघों की मौत दर्ज हुई। इसके बाद दूसरे नंबर पर कर्नाटक है, जहां 14 बाघों की मौत हुई है। मध्य प्रदेश और कर्नाटक के बाद महाराष्ट्र और यूपी में भी बाघों की मौत का मामला सामने आया है। इसमें वृद्धावस्था या बीमारी, विद्युत करंट, आपसी संघर्ष, रेल-रोड एक्सीडेंट और जहर देकर मारने के कारण शामिल हैं। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के अनुसार, इससे पहले पिछले साल 2016 में भारत में सबसे ज्यादा 100 बाघों की मौत हुई थी, वहीं साल 2009 से लेकर 2015 तक हर साल औसत रूप से 42 से 72 बाघ की मौत हुई है। बाघों की मौत के मामले में मध्य प्रदेश के आंकड़े सिर्फ इस साल ही नहीं, बल्कि पिछले पांच साल से खराब हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले पांच साल में मध्य प्रदेश में 89 बाघों की मौत हो चुकी है, जिसमें 11 शावक थे। इस साल 18 और बाघों की मौत यहां हुई। इतनी बड़ी संख्या में हर साल बाघों का मरना सरकार वन्यजीव अधिकारियों के वाकई चिंताजनक है।  यह आंकड़े तब सामने हैं, जब भारतीय-आस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों के एक दल द्वारा अनूठे विश्लेषण में सामने आया था कि मंगलयान प्रोजेक्ट से ज्यादा कीमती दो बाघों की जान है। इसमें कहा गया था कि दो बाघों को बचाने व उनकी देखभाल से होने वाला लाभ करीब 520 करोड़ रुपए है, जबकि इसरो की मंगल ग्रह पर मंगलयान भेजने की तैयारी की कुल लागत लगभग 450 करोड़ रुपए है। अंतिम अनुमान के अनुसार, भारत में वयस्क बाघों की संख्या 2226 है, जिसका मतलब है कि कुल लाभ 5.7 लाख करोड़ रुपए होगा। दरअसल वैज्ञानिकों ने छह टाइगर रिजर्व का अध्ययन किया था। इस दौरान उन्होंने अनुमान लगाया कि उनका संरक्षण करना 230 अरब डालर की राशि को सुरक्षित रखने के समान है। इस राशि को वैज्ञानिकों ने इन टाइगर रिजर्व के लिए ‘स्टॉक बेनिफिट्स’ कहा है।

किस साल, कितने मरे

2009 — 66

2010 — 42

2011 — 54

2012 — 72

2013 — 63

2014 — 66

2015 — 70

2016 — 100

15 अक्तूबर, 2017 — 73


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