एमफिल का रिजल्ट रोका जाए

By: Oct 27th, 2017 12:01 am

डिसेबल्ड स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने राज्यपाल को भेजा पत्र

शिमला —  हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की ओर से करवाई जा रही एमफिल की काउंसिलिंग के परिणाम पर रोक लगाने की मांग डिसेबल्ड स्टूडेंट्स एसोसिएशन द्वारा की गई है। इस मांग को लेकर एसोसिएशन ने राज्यपाल को पत्र भी भेजा है। एसोसिएशन की मांग है कि हाई कोर्ट के आदेशों के मद्देनजर विकलांगों को आरक्षण देने के लिए हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के रोस्टर में बदलाव नहीं किए हैं। इसको दखते हुए काउंसिलिंग के परिणाम पर रोक लगाने की मांग की जा रही है। यह मामला हाई कोर्ट में सुनवाई के लिए अब 31 अक्तूबर को लगेगा। डीएसए के संयोजक मुकेश कुमार ने राज्यपाल आचार्य देवव्रत को पत्र लिख कर मांग की है कि शुक्रवार को  हो रही एमफिल की तथा बाद में होने वाली पीएचडी की काउंसिलिंग के नतीजे घोषित न किए जाएं। उनका तर्क है कि इन रिसर्च कक्षाओं में सीटें कम होती हैं और विश्वविद्यालय ने इनमें प्रवेश के लिए पुराने व त्रुटिपूर्ण रोस्टर व्यवस्था को ही आधार बनाया है। मुकेश कुमार ने बताया कि संसद द्वारा 16 दिसंबर, 2016 को पास किया गया विकलांग जन अधिकार अधिनियम इस वर्ष 19 अप्रैल से पूरे देश भर में लागू किया जाना था। इसकी धारा 32 के अंतर्गत विकलांजनों को उच्च शिक्षा में कम से कम पांच प्रतिशत आरक्षण दिया जाना था। विवि द्वारा इसे लागू न किए जाने पर चंबा की दृष्टिबाधित छात्रा इंदु कुमारी व कुछ अन्य विकलांग विद्यार्थियों ने हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिख कर न्याय की गुहार लगाई। हाई कोर्ट ने पत्रों को जनहित याचिका मानकर कार्रवाई शुरू की और पांच प्रतिशत आरक्षण लागू करने के आदेश दिए। इसके बावजूद एमफिल व पीएचडी के लिए पुराना रोस्टर ही लगाया जा रहा है। उन्होंने कानून के मुताबिक विकलांजनों को न्याय मिलने तक एमफिल व पीएचडी की सीटें भरने पर रोक की मांग की है।


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