ऐसी नौबत आई… सेंटर एक… न मिली चटाई
231 पदों के लिए 15583
नगरोटा बगवां – डंडा चलाना शायद पुलिस की जिंदगी का हिस्सा ही हो गया है अन्यथा पुलिस भर्ती की लिखित परीक्षा के लिए साढ़े 15 हजार अभ्यर्थियों के लिए केवल और केवल एक सेंटर नहीं रखा गया होता। कांगड़ा पुलिस ने बड़ा कारनामा किया, जिसके कारण सोमवार को 15583 अभ्यर्थियों के लिए राधा स्वामी सत्संग में एकमात्र परीक्षा केंद्र रखा गया। इतने बड़े जिला के लिए केवल एक परीक्षा केंद्र होने के असर क्या-क्या पड़े, बहुत रोचक है। जहां हर केंद्र में आधा घंटा पहले अभ्यर्थियों को पहुंचना पड़ता है, कांगड़ा पुलिस ने तीन घंटे पहले बुला लिए। बच्चों को रात को ही दौड़ना पड़ा। बिना चटाई जमीन पर परीक्षा देनी पड़ी। सोमवार को दोपहर एक बजे से फरेड़ से शुरू हुआ ट्रैफिक जाम नगरोटा और मटौर तक पहुंच गया। जाम में दो से अढ़ाई घंटे वाहन फंसे रहे। यह पहला मौका था, जब पूरे जिला भर के परीक्षार्थियों को लिखित परीक्षा के लिए एक ही केंद्र में बुलाया गया हो। हालांकि उत्तरी क्षेत्र में कांगड़ा को छोड़ ऊना में 4300 परीक्षार्थियों के लिए तीन तथा चंबा में 4500 के लिए पांच परीक्षा केंद्र बनाए गए थे, लेकिन सबसे बड़े जिला कांगड़ा से 15583 परीक्षार्थियों के लिए एक ही परीक्षा केंद्र निर्धारित किया गया था। इस दौरान 12859 पुरुष तथा 2724 महिला उम्मीदवारों ने अपने बौद्धिक कौशल की परीक्षा दी। नार्दर्न रेंज के डीआईजी जेपी सिंह तथा जिला पुलिस प्रमुख रमेश छाजटा की देखरेख में आयोजित हुई परीक्षा की व्यवस्था आश्रम के सत्संग हाल में की गई थी। परीक्षा के संचालन के लिए विभाग ने शिक्षा विभाग के 232 अध्यापकों को निरीक्षक के रूप में तैनात किया था, जबकि उनके सहयोग के लिए पुलिस विभाग के करीब 300 अधिकारी व जवान मौजूद रहे। परीक्षा केंद्र को 104 ब्लॉकों में बांटा गया था तथा प्रत्येक ब्लॉक में 150 परीक्षार्थियों के बैठने की व्यवस्था की गई थी। तमाम इंतजामों के बावजूद परीक्षा निर्धारित समय से 35 मिनट देरी से शुरू तथा समाप्त हुई।
सहयोग को थैंक्स
परीक्षा के लिए स्थान प्रदान करने हेतु जिला पुलिस ने राधा स्वामी सत्संग व्यास का आभार व्यक्त किया। साथ उनके दिए गए सहयोग के लिए प्रबंधकों तथा सेवादारों का धन्यवाद किया।
पुलिस का नया प्रयोग जनमानस पर भारी
राधा स्वामी सत्संग व्यास परौर में जिला भर के चयनित अभ्यर्थियों के लिए एक ही छत के नीचे लिखित परीक्षा का आयोजन कर निःसंदेह पुलिस विभाग अपना ढेर सारा खर्चा बचाने तथा सिरदर्दी से बचने के लिए अपनी पीठ थपथपा सकता है, लेकिन इस दौरान न केवल परीक्षार्थियों बल्कि आम लोगों को हुई असुविधा से भी इनकार नहीं किया जा सकता। 11 बजे शुरू होने वाली परीक्षा के लिए रिपोर्टिंग समय सुबह आठ बजे निर्धारित होना परीक्षार्थियों की परेशानी को और भी बढ़ा गया, जिस वजह से दूरदराज के अभ्यर्थियों को पहले दिन ही जंगल की खाक छाननी पड़ गई। सुखद केवल यह रहा कि रविवार को देर रात आश्रम ने महिलाओं को रात काटने के लिए आश्रम में पनाह दे दी नहीं, तो लड़कों की तरह उन्हें भी बाहर ही बसंती पाला झेलना पड़ता।
रेंगती रही ट्रैफिक, सेवादारों ने संभाला मोर्चा
पुलिस की लिखित परीक्षा के दौरान परौर में एक बार फिर जून माह में आयोजित होने वाले सत्संग का माहौल दिखा। परीक्षा शुरू होने से पहले तथा परीक्षा समाप्ति के दौरान मुख्य सड़क पर भी अफरा-तफरी का माहौल रहा। उच्च मार्ग पर पसरी अव्यवस्था पर जब विभाग की उपस्थिति नाकाफी साबित हुई, तो ट्रैफिक बहाली में आश्रम के सेवादारों ने मोर्चा संभाला।
इस बार रही कमी अगली बार पूरी होगी
जिला पुलिस प्रमुख रमेश छाजटा ने ‘दिव्य हिमाचल’ से हुई बात में उक्त परीक्षा को एक बड़ा चुनौतिपूर्ण कार्य बताया तथा इसके सफल आयोजन पर प्रसन्नता भी व्यक्त की। उन्होंने माना कि यह एक प्रयोग था तथा इस बार रही त्रुटियों को भविष्य में पूरा किया जाएगा, जिसमें निरीक्षण स्टाफ की बढ़ोतरी को उन्होंने जरूरी बताया।
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