करियर का प्रहरी पर्यावरण विज्ञान

By: Oct 25th, 2017 12:08 am
लोगों को भी अब यह लगने लगा है कि यदि प्रकृति द्वारा प्रदत्त संसाधनों का लगातार दुरुपयोग किया गया, तो वह दिन दूर नहीं जब भीषण धन-जन की हानि होगी। लोगों की जागरूकता एवं समय की मांग ने इसे एक करियर के रूप में स्थापित कर दिया है, जिसे एनवायरनमेंटल साइंस या पर्यावरण विज्ञान का नाम दिया गया  है। यह विज्ञान की एक ऐसी शाखा है, जिसमें पर्यावरण के विभिन्न अवयवों का वर्णन किया जाता है…

यदि आप पर्यावरण से प्रेम करते हैं और चारों ओर हरा-भरा देखना चाहते हैं तो एनवायरनमेंटल साइंस आपके लिए बेहतर विकल्प साबित हो सकती है। बतौर एनवायरनमेंटलिस्ट आप इसमें लंबी रेस का घोड़ा बन सकते हैं।  पृथ्वी पर जीवन का स्रोत पर्यावरण ही है। इसकी बदौलत हमें भोजन और कपड़ा सहित अन्य जीवनोपयोगी वस्तुएं जैसे पानी, वायु, प्रकाश आदि मिलती हैं। प्रकृति के साथ जब तक मानव का संतुलन बना रहता है, तब तक सब कुछ लाभकारी रहता है। लेकिन पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़ते औद्योगिकीकरण व शहरीकरण से यह संतुलन गड़बड़ा गया है। परिणामस्वरूप हमें कई तरह की आपदाओं व शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। निश्चित तौर पर पिछले कुछ सालों में सरकारी तथा व्यक्तिगत स्तर पर इस दिशा में काफी कार्य हुए हैं। स्कूल व विश्वविद्यालय स्तर पर पर्यावरण को एक विषय के रूप में शामिल कर लोगों को इसके महत्त्व, दुरुपयोग तथा उससे उपजे दुष्परिणामों के बारे में बताया जा रहा है। मल्टीनेशनल कंपनियां इसकी रोकथाम में सहयोग कर रही हैं। कई एनजीओ इसमें काम कर रहे हैं। लोगों को भी अब यह लगने लगा है कि यदि प्रकृति द्वारा प्रदत्त संसाधनों का लगातार दुरुपयोग किया गया तो वह दिन दूर नहीं, जब भीषण धन-जन की हानि होगी। लोगों की जागरूकता एवं समय की मांग ने इसे एक करियर के रूप में स्थापित कर दिया है, जिसे एनवायरनमेंटल साइंस यर पर्यावरण विज्ञान का नाम दिया गया है। यह विज्ञान की एक ऐसी शाखा है, जिसमें पर्यावरण के विभिन्न अवयवों का अध्ययन किया जाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि पर्यावरण विज्ञान के जरिए पर्यावरण संबंधी समस्याओं को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

कौन हैं एनवायरनमेंटलिस्ट

पर्यावरण विज्ञान मूल रूप से ऊर्जा संरक्षण, जैव विविधता, जलवायु परिवर्तन, भूजल, वायु व जल प्रदूषण, औद्योगिक प्रदूषण व प्लास्टिक के जोखिम को दूर करने के लिए विकसित की गई प्रौद्योगिकियों का अध्ययन है। यह कार्य जिनके द्वारा किया जाता है, उन्हें एनवायरनमेंटलिस्ट या पर्यावरणविद कहा जाता है। इनका पर्यावरण सुरक्षा संबंधी कार्य साइंस व इंजीनियिरग के विभिन्न सिद्धांतों के प्रयोग से आगे बढ़ता है। एक तरह से देखा जाए तो एनवायरमेंटलिस्ट का कार्य रिसर्च ओरिएंटेड होता है। इसमें उसे प्रशासनिक, सलाहकार व सुरक्षा तीनों स्तरों पर काम करना पड़ता है।

कई तरह से सहायक हैं कोर्स

एनवायरनमेंटल साइंस से संबंधित जो भी कोर्स हैं, वे अपने अंदर कई तरह के अवयवों और रोचकता को समेटे हुए हैं। वे न सिर्फ एनवायरनमेंटल  साइंस का गहरा ज्ञान देते हैं बल्कि प्रोफेशनल्स को उस फील्ड में स्थापित करने के लिए कई तरह के कौशल भी प्रदान करते हैं। इसमें उन्हें थ्योरी के साथ-साथ प्रैक्टिकल नॉलेज भी दी जाती है ताकि छात्र आगे चल कर हर तरह की जिम्मेदारी उठा सकें।

तेजी से बढ़ रहा है बाजार

देश में 1980 से भारतीय विश्वविद्यालयों में पर्यावरण से जुड़े कई पाठयक्रम व कार्यक्रम चालू किए गए थे। कई संस्थानों में एनवायरनमेंटल साइंस के अध्ययन के लिए अलग विभाग भी स्थापित किए गए थे। इसके बाद लोगों में जागरूकता का संचार हुआ और कुशल लोगों की डिमांड होने लगी। एक हालिया सर्वेक्षण की मानें तो विश्व के करीब 132 देश प्रदूषण की समस्या से बुरी तरह से ग्रस्त हैं। भारत भी उनमें से एक है। भारत के करीब 19-20 शहर प्रदूषण की जद में हैं। जहां तक जॉब का सवाल है तो इसमें संभावनाएं दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं। इस समय इसके जॉब मार्केट की 19 प्रतिशत की दर से ग्रोथ हो रही है और ऐसी संभावना है कि 2020 तक यह वृद्धि बरकरार रहेगी।

वेतनमान

इस क्षेत्र में रोजगार के साथ-साथ आमदनी भी खूब है। शुरुआती दौर में कोई फर्म ज्वाइन करने पर प्रोफेशनल्स को 25 से 30 हजार रुपए प्रतिमाह तथा तीन-चार साल का अनुभव होने पर 40-50 हजार रुपए की सैलरी आसानी से मिल जाती है।

शैक्षणिक योग्यता

एनवायरनमेंटल साइंस के कोर्स इस क्षेत्र की मांग को देखते हुए तैयार किए गए हैं। सबसे ज्यादा प्रचलन में बैचलर व मास्टर कोर्स हैं। बैचलर कोर्स के लिए छात्र का विज्ञान विषय के साथ दस जमा उत्तीर्ण होना आवश्यक है। मास्टर में प्रवेश बीएससी व बीटेक के बाद मिलता है। एमफिल व पीएचडी का रास्ता मास्टर कोर्स के बाद खुलता है।

आवश्यक स्किल्स

यह एक ऐसा प्रोफेशन है, जिसमें प्रोफेशनल्स को प्रकृति से प्रेम करना सीखना होगा। साथ ही उनमें लॉजिकल व एनालिटिकल माइंड, फोटोग्राफी का शौक, सामान्य ज्ञान की जानकारी, कम्युनिकेशन स्किल्स, रिपोर्ट लिखने का कौशल सहित अन्य कई तरह के गुण आवश्यक हैं। इसके अलावा उनके अंदर भूगोल, बॉटनी, केमिस्ट्री, जूलॉजी तथा जियोलॉजी आदि विषयों के प्रति रुचि होनी चाहिए।

जागरूकता बढ़ी है

पिछले कुछ वर्षों से हमारे देश में पर्यावरण को लेकर जागरूकता बढ़ी है। लोगों को लगने लगा है कि यदि जल्द ही संतुलन न बनाया गया तो आने वाले समय में हमें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। यही चिंता लिए अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां, केंद्र व राज्य सरकारें, इंडस्ट्री, एमएनसी व एनजीओ, रिसर्च इंस्टीच्य़ूट एनवायरनमेंट फ्रेंडली विधि व तकनीक अपना रहे हैं। एनवायरनमेंट  हॉट सब्जेक्ट होने के कारण इसकी हर तरफ  चर्चा हो रही है। इसके चलते एनवायरनमेंटल साइंटिस्ट या एनवायरनमेंटलिस्ट का स्कोप बढ़ता जा रहा है। इसमें ऐसे कई क्षेत्र हैं, जिनमें जाने के लिए कोर्स के बाद एक छोटी अवधि की रिसर्च या स्पेशलाइजेशन करनी पड़ती है। हालांकि प्राइवेट कंपनियों में नियुक्तियां सरकारी स्तर जितनी नहीं हो पा रही हैं, लेकिन आने वाले समय में यह दृश्य बदल जाएगा। लड़कियां भी इस क्षेत्र में तेजी से आ रही हैं। क्लास में उनकी संख्या लड़कों के बराबर ही देखने को मिल रही है।

रोजगार की संभावनाएं

कई सरकारी और गैर सरकारी एजेंसियां, एनजीओ, फर्म व विश्वविद्यालय व कॉलेज हैं, जहां इन प्रोफेशनल्ज को विभिन्न पदों पर काम मिलता है। वेस्ट ट्रीटमेंट इंडस्ट्री, रिफाइनरी, डिस्टिलरी, माइन्स फर्टिलाइजर प्लांट्स, फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री व टेक्सटाइल मिल्स में एनवायरनमेंटल साइंटिस्ट के रूप में नौकरी मिलती है। रिसर्चर, एनवायरनमेंटल जर्नलिस्ट व टीचर के रूप में भी कई कंपनियां जॉब देती हैं।

इन पदों पर मिलेगा मौका

* साइंटिस्ट

* रिसर्चर

* इंजीनियर

* कंजरवेशनिस्ट

* कम्प्यूटर एनालिस्ट

* लैब असिस्टेंट

* जियो साइंटिस्ट

* प्रोटेक्शन एजेंट

* एनवायरनमेंटल जर्नलिस्ट

प्रमुख प्रशिक्षण संस्थान

* नौणी विवि, सोलन

* एचपीयू, शिमला

* कृषि विवि, पालमपुर

* जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली

* जामिया मिलिया इस्लामिया, नई दिल्ली

* इंडियन इंस्टीच्य़ूट ऑफ  एनवायरनमेंटल मैनेजमेंट, मुंबई

* राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, इंदौर

* गौतम बुद्ध टेक्निकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ

* अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, अलीगढ़


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