पार्वती-ढ्ढढ्ढ में देरी पर अधिकारी ट्रांसफर

By: Oct 27th, 2017 12:15 am

प्रोजेक्ट को रफ्तार न मिलने से ऊर्जा मंत्रालय नाराज, नगवाईं से फरीदाबाद भेजे ईडी

सैंज – 17 साल से 800 मेगावाट की निर्माणाधीन पार्वती जल विद्युत परियोजना चरण-दो में निर्माण कार्य की धीमी रफ्तार से केंद्र सरकार व ऊर्जा मंत्रालय नाखुश है। प्रोजेक्ट के निर्माण कार्य में अनावश्यक देरी का खामियाजा केंद्र सरकार के साथ-साथ प्रदेश सरकार को भी भुगतना पड़ रहा है। केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने संज्ञान लेते हुए एनएचपीसी को फटकार लगाई है, लिहाजा पार्वती प्रोजेक्ट चरण-दो के बड़े अधिकारी पर इसकी गाज गिरी है और नगवाई से कार्यपालक निदेशक एके सिंह को फरीदाबाद ट्रांसफर किया गया है। फरीदाबाद से किसी नए महाप्रबंधक की नियुक्ति की गई है और वह इसी सप्ताह पार्वती-दो में ज्वाइनिंग देने वाले हैं। उल्लेखनीय है कि 520 मेगावाट की पार्वती-तीन बनकर तैयार हुई है और हर वर्ष लाखों मिलीयन यूनिट बिजली का उत्पादन हो रहा है, लेकिन एनएचपीसी के लिए पार्वती-दो सिरदर्द बनी हुई है। प्रोजेक्ट की धीमी रफ्तार से इसका बजट पूरी तरह गड़बड़ा गया है। लागत मूल्य 3920 से बढ़कर 9000 करोड़ के आसपास पहुंच जाने से एनएचपीसी एक तरह से बैकफुट पर आ गई है। निर्माण कार्य में हो रही अनावश्यक देरी का खामियाजा प्रदेश सरकार को भी भुगतना पड़ रहा है। प्रोजेक्ट में सालाना 316.66 लाख मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन होना है। ऐसे में प्रोजेक्ट की लेटलतीफी से हिमाचल के साथ केंद्र सरकार को भी आर्थिक नुकसान हो रहा है। पार्वती-दो की लेटलतीफी को लेकर केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने एनएचपीसी के शीर्ष अधिकारियों से रिपोर्ट तलब की है और कैग ने भी प्रोजेक्ट की लागत पर सवाल उठाए हैं। बहरहाल, पार्वती प्रोजेक्ट चरण-दो में हो रही लेटलतीफी की गाज एनएचपीसी के बड़े अधिकारी पर गिरी है और प्रोजेक्ट के ईडी मुख्यालय को ट्रांसफर किए गए हैं। गाज गिरने के साथ ही खर्चे के आंकड़े भी बढ़ गए हैं, जहां पहले इस परियोजना पर 3920 करोड़ खर्च होने थे, वहीं इसका खर्चा अब नौ हजार पहुंच गया है।

2007 में तैयार होना था प्रोजेक्ट

वर्ष 1999 में सैंज में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रोजेक्ट की नींव रखी थी और वर्ष 2007 में इसे बनकर तैयार हो जाना था, लेकिन कई सालों से अधर में लटके प्रोजेक्ट के निर्माण कार्य का नया लक्ष्य अब 2018 तय किया गया है, लेकिन जिस गति से निर्माण कार्य चला है, उससे लगता है कि यह प्रोजेक्ट वर्ष 2020 तक ही पूरा होने की संभावना है।


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