लावारिस हाल में पुलिस भर्ती परीक्षा
(रोहित शर्मा, कांगड़ा )
हाल ही में पुलिस भर्ती के लिए लिखित परीक्षा को लेकर बंदोबस्त के स्तर पर जो बदहाली देखने को मिली, उसे देखकर बेहद दुख हुआ। परौर में आयोजित परीक्षा के दौरान सारी व्यवस्था राम भरोसे थी। हैरानी यह कि जिस विभाग के कंधों पर पूरे प्रदेश की सुरक्षा व्यवस्था को संभालने का जिम्मा होता है, उसी की भर्ती में यह सारी अव्यवस्था देखने को मिली। दूरदराज के क्षेत्रों से आए परीक्षार्थी सड़कों के किनारे या दुकानों के बाहर रात काटने को मजबूर हुए। परीक्षा के दौरान उनके सामान की संभाल का कोई बंदोबस्त नहीं था। जब परीक्षा शुरू हुई तो प्रश्न पत्र भी देरी से बांटे गए। जब परीक्षार्थी परौर के लिए आ रहे थे, तो बड़ी संख्या के कारण बसों की छतों पर सवार होकर सफर करना पड़ा। इससे भी बढ़कर यह कि लड़कियां भी परीक्षा देने के लिए बड़ी संख्या में यहां आई थीं। खुदा-न-खास्ता इस दौरान कोई अनचाहा हादसा हो जाता, तो किसे कसूरवार ठहराया जाता? परीक्षा के दौरान प्रबंधन हेतु परौर में यदि कुछ पुलिस जवानों को तैनात कर दिया होता, तो इससे विभाग का कौन सा नुकसान हो जाता? इसी भर्ती के दौरान धर्मशाला पुलिस मैदान में एक लड़के की जान चली गई थी। कारण चाहे जो भी रहे हों, लेकिन उनका तो घर लुट गया, जिन्होंने अपनी औलाद को सुनहरे सपनों को पूरा करने के लिए घर से विदा किया था। विभाग ने यदि उस दर्द को महसूस किया होता, तो शायद ही ऐसी अलगर्जी लिखित परीक्षा के दौरान दिखाई होती। क्या विभाग इस पूरी अव्यवस्था से भविष्य के लिए कोई सबक लेगा?
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