समसामयिकी

By: Oct 25th, 2017 12:07 am

रो-रो फेरी परियोजना

पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने गृह राज्य गुजरात में 22 अक्तूबर को रो-रो फेरी सेवा का उद्घाटन किया। पीएम मोदी ने कहा कि यह भारत ही नहीं बल्कि दक्षिण एशियाई क्षेत्र की सबसे अनूठी योजना है। इस योजना के जरिए भावनगर से भरूच की दूरी 310 किलोमीटर से घटकर सिर्फ 31 किलोमीटर रह जाएगी। 615 करोड़ रुपए की यह योजना गुजरात के लिए पीएम मोदी की सबसे महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक है।  जैसा कि नाम से ही साफ है कि किसी सामान को लादना और फिर उसे उतारना। इसमें जहाजों को इस तरह से तैयार किया जाता है, जिनमें कारों, ट्रकों, सेमी-ट्रेलर ट्रकों, ट्रेलर्स और अन्य चीजों को लादा जा सकता है।  इसके अलावा लोग भी इसमें सफर कर सकते हैं। घोघा और दाहेज बंदरगाहों को इसके लिहाज से तैयार करने के लिए केंद्र सरकार से 117 करोड़ रुपए सागरमाला परियोजना के तहत आबंटित किए गए थे। गुजरात सरकार के मरीन एवं पोर्ट अफेयर्स के पास इसकी जिम्मेदारी है, जिसने 2011 में इसके टेंडर निकाले थे। अपने इस ड्रीम प्रोजेक्ट की नींव मोदी ने जनवरी 2012 में गुजरात का सीएम रहते हुए रखी थी। भावनगर के घोघा और भरूच के दहेज के बीच 650 करोड़ रुपये की रोल-ऑन रोल ऑफ (रो-रो) फेरी सेवा के पहले चरण का शुभारंभ करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार ने देश के परिवहन क्षेत्र के असंतुलन को दूर करने की दिशा में भी ठोस कदम उठाया है। नई पोत परिवहन नीति और नई विमानन नीति तैयार की है। प्रधानमंत्री मोदी रो-रो फेरी सर्विस के तहत फेरी में सवार होकर 100 दिव्यांग बच्चों के साथ घोघा से दाहेज पहुंचे। दाहेज में एक सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने नया मंत्र दिया…‘पी फार पी’। उन्होंने कहा कि हमारे लिए पी फॉर पी है यानी पोर्ट फॉर प्रॉस्पेरिटी अर्थात समृद्धि के लिए बंदरगाह। मोदी ने कहा कि बंदरगाह समृद्धि के प्रवेश द्वार हैं और सागरमाला परियोजना इसी की एक झलक है। हमने इस परियोजना को साल 2035 की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया है। घोघा रो रो फेरी सर्विस सौराष्ट्र के लोगों को और निकट ले आएगी। जिस यात्रा को पूरा करने में 7-8 घंटे लगते थे, उसे एक से सवा घंटे में पूरा कर लिया जाएगा। इससे पूरे क्षेत्र में सामाजिक आर्थिक विकास का एक नया दौर शुरू होगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि समुद्र के जरिये दूसरे देशों के साथ संबंध मजबूत बनाने के लिए आधुनिक बंदरगाहों की काफी जरूरत है। बंदरगाहों का अर्थव्यवस्था में वही स्थान है जो शरीर में फेफड़ों का है। ऐसे में सरकार बंदरगाहों की आधारभूत संरचना और कनेक्टिविटी को मजबूत बनाने पर विशेष ध्यान दे रही है।


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