हफ्ते का खास दिन

By: Oct 1st, 2017 12:05 am

महात्मा गांधी, जन्मदिवस

2 अक्तूबर, 1869

मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म भारत में गुजरात के पोरबंदर में 2 अक्तूबर, 1869 को हुआ था। सत्याग्रह और अहिंसा के सिद्धांतों पर चलकर उन्होंने भारत को आजादी दिलाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके इन सिद्धांतों ने पूरी दुनिया में लोगों को नागरिक अधिकारों एवं स्वतंत्रता आंदोलन के लिए प्रेरित किया। उन्हें भारत का राष्ट्रपिता भी कहा जाता है। सुभाष चंद्र बोस ने वर्ष 1944 में रंगून रेडियो से गांधी जी के नाम जारी प्रसारण में उन्हें ‘राष्ट्रपिता’ कहकर संबोधित किया था।

सन् 1915 में भारत वापस आने से पहले गांधी ने एक प्रवासी वकील के रूप में दक्षिण अफ्रीका में भारतीय समुदाय के लोगों के नागरिक अधिकारों के लिए संघर्ष किया। भारत आकर उन्होंने समूचे देश का भ्रमण किया और  किसानों, मजदूरों और श्रमिकों को भारी भूमि कर और भेदभाव के विरुद्ध संघर्ष करने के लिए एकजुट किया। सन् 1921 में उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बागडोर संभाली और अपने कार्यों से देश के राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक परिदृश्य को प्रभावित किया। उन्होंने सन् 1930 में ‘नमक सत्याग्रह’ और इसके बाद 1942 में ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन से खासी प्रसिद्धि प्राप्त की। भारत के स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान कई मौकों पर गांधी जी कई वर्षों तक जेल में भी रहे।

मोहनदास अपने परिवार में सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे थे इसलिए उनके परिवार वाले ऐसा मानते थे कि वह अपने पिता और चाचा का उत्तराधिकारी (दीवान) बन सकते थे। उनके एक परिवार के मित्र मावजी दवे ने ऐसी सलाह दी कि एक बार मोहनदास लंदन से बैरिस्टर बन जाएं, तो उनको आसानी से दीवान की पदवी मिल सकती थी। उनकी माता पुतलीबाई और परिवार के अन्य सदस्यों ने उनके विदेश जाने के विचार का विरोध किया, पर मोहनदास के आश्वासन पर राजी हो गए। वर्ष 1888 में मोहनदास यूनिवर्सिटी कालेज लंदन में कानून की पढ़ाई करने और बैरिस्टर बनने के लिए इंग्लैंड चले गए। अपनी मां को दिए गए वचन के अनुसार ही उन्होंने लंदन में अपना वक्त गुजारा। वहां उन्हें शाकाहारी खाने से संबंधित बहुत कठिनाई हुई और शुरुआती दिनों में कई बार भूखे ही रहना पड़ता था। धीरे-धीरे उन्होंने शाकाहारी भोजन वाले रेस्टोरेंट्स के बारे में पता लगा लिया। इसके बाद उन्होंने ‘वेजिटेरियन सोसायटी’ की सदस्यता भी ग्रहण कर ली। इस सोसायटी के कुछ सदस्य थियोसोफिकल सोसायटी के सदस्य भी थे और उन्होंने मोहनदास को गीता पढ़ने का सुझाव दिया।

 मृत्यु

30 जनवरी, 1948 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की दिल्ली के ‘बिरला हाउस’ में शाम 5:17 पर हत्या कर दी गई। गांधी जी एक प्रार्थना सभा को संबोधित करने जा रहे थे, जब उनके हत्यारे नाथूराम गोडसे ने उनके सीने में 3 गोलियां दाग दीं। ऐसे माना जाता है कि ‘हे राम’ उनके मुख से निकले अंतिम शब्द थे। नाथूराम गोडसे और उसके सहयोगी पर मुकदमा चलाया गया और 1949 में उन्हें मौत की सजा सुनाई गई।


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