हिमाचली पुरुषार्थ : संगीत की हिमाचली धरा पर धीरज शर्मा

By: Oct 25th, 2017 12:07 am

धीरज शर्मा 1992 से 1997 तक बैजनाथ में गोस्वामी गणेश दत्त सनातन धर्म महाविद्यालय में अर्थशास्त्र के शिक्षक भी रहे। मगर गाने का शौक पाले धीरज के जुनून ने उन्हें मुंबई का रुख करवा दिया। 1997 में मुंबई जा कर पं. सोमदत्त कश्यप से क्लासिकल म्यूजिक व जयपुर घराने से जुड़ कर भावदीप जयपुर वाला से संगीत की शिक्षा पाई…

शिव नगरी बैजनाथ जहां यहां के विश्वविख्यात भोले नाथ के मंदिर के लिए ख्याति प्राप्त है, वहीं इस नगरी ने एक नहीं बल्कि दो-दो लाकप्रिय गायक भी दिए है। जिन में धीरज शर्मा व संजीव दीक्षित ने हिमाचल ही नहीं, बाहरी राज्यों में भी गायकी में नाम कमाया है। धीरज शर्मा बैजनाथ उपमंडल की मझैरना पंचायत के रहने वाले हैं। उनके पिता त्रिलोक नाथ शर्मा सेना से एक अधिकारी के रूप में सेवानिवृत हुए हैं। बचपन से ही गाने गुनगुनाने का शौक पाले धीरज शर्मा बुलंदियों को छू गए। अपनी शिक्षा पूर्ण करने के उपरांत धीरज शर्मा 1992 से 1997 तक बैजनाथ में गोस्वामी गणेश दत्त सनातन धर्म महाविद्यालय में अर्थशास्त्र के शिक्षक भी रहे। मगर गाने का शौक पाले धीरज के जुनून ने उन्हें मुंबई का रुख करवा दिया। 1997 में मुंबई जा कर पं. सोमदत्त कश्यप से क्लासिकल म्यूजिक व जयपुर घराने से जुड़ कर भावदीप जयपुर बाला से संगीत की शिक्षा पाई। इसी बीच प्ले बैक सिंगर कविता कृष्णा मूर्ति, जसविंद्र नरूला, सुरेश वाडेकर विपन सचदेवा और अनुराधा पौडवाल के साथ कई स्टेज शो कर नाम कमाया। यही नहीं, धीरज म्यूजिकल ग्रुप बना कर  हिमाचल, चंडीगढ़, दिल्ली, पुणे, हैदराबाद और मुंबई में अपना सिक्का जमाया। इसी बीच सोनी टीवी द्वारा आयोजित ‘अदाबे अर्ज है’ कार्यक्रम, जिसके होस्ट जाने- माने गजल गायक पकंज उदास जी थे,2001 में आयोजित हुआ था। धीरज शर्मा उसके विनर रहे थे। इसी के साथ उन्होंने 2001 में ही  मुंबई में अपनी पहली 28 गानों की पहाड़ी नाटी रिकार्ड करवाई। उसमें साथ ही धीरज शर्मा का डंका बजने लगा। धीरज को 2015 में शान-ए- हिमाचल के खिताब से मुख्यमंत्री द्वारा नवाजा गया था। यही नहीं, 2015 में मुंबई में  जय ज्वाला मां हिमाचल संघ, सिनेटेर टेलीफेम मुंबई, लक्की स्टार एंटरटेनमेंट नई दिल्ली, वर्ष 2013 में हिमाचल कल्याण सभा धालरा, 2014 में हिम ज्योति कल्याण समिति कपूरथला, 2011 में हिमालय कला संगम द्वारा हिम प्रेरणा सम्मान, लाइट ऑफ नेशनल कुल्लू- मनाली, रोटरी क्लब बैजनाथ, 2017 में दि प्रोमोट,भारत विकास परिषद बैजनाथ /पालमपुर द्वारा भी सम्मान देकर धीरज को सम्मानित किया। धीरज शर्मा ने पहाड़ी के अलावा हिंदी, पंजाबी और भोजपुरी फिल्मों के लिए गाने भी गाए हैं। धीरज द्वारा गाए फिल्मों के गीत इस प्रकार हैं।

हिमाचली फिल्में – शामा नार, एक नीलमो पहाड़ां दी, मोहना, गुदगुदी हिमाचले दी, बज्रेश्वरी धाम।

हिंदी फिल्में – प्रथा, जीवन के दो रंग, प्रेम जंगल, तू ज्योति मैं ज्वाला।

पंजाबी फिल्में – शेर पुत्त पुजाब दे, बागी।

भोजपुरी फिल्में – नदिया का लहर बोले।

उन्होंने कई धार्मिक एलबमों में भी गाया है, जिनमें सुरेश वाडेकर के साथ हनुमान चालीसा, 28 नॉन स्टाप पहाड़ी नाटियां, सखियां छेड़ दियां, रेश्मा, दो गुजरियां, मेला जाणा नी दिंदा, शान हिमाचल दी, शिव शिव जपा करो और भगता चल चलिए के अलावा टीवी व पंजाबी सीरियलों में भी गाने गाए हैं।

-चमन डोहरू, बैजनाथ

जब रू-ब-रू हुए…

हिमाचल की एक भाषा होना जरूरी…
संगीत की दुनिया में कितना चाहा, कितना पाया?

सागर की तरह चाहा, पर अभी तक तिनके की तरह पाया।

अपनी पहचान को किस सांचे में पूर्ण देखते हैं?

मैं एक सफल व स्थिर कलाकार हूं। यह मेरी मेहनत वह साधना का फल है। मुझ पर गुरुजनों व माता-पिता का आशीर्वाद रहा है।

हिमाचली गायकी क्यों एक सीमा के भीतर तड़प कर रह जाती है?

हिमाचल में एक भाषा न होना इसका बड़ा कारण है।

होना क्या चाहिए? नए गायकों को आपके अनुभव से क्या हासिल हो सकता है?

हिमाचल प्रदेश में अपना कोई चैनल नहीं। दूरदर्शन शिमला व एफएम में हिमाचली कलाकारों की भागीदारी सुनिश्चित की जाए। चैनलों में इन कलाकारों  के लिए समय बढ़ाया जाए व हर राज्य स्तरीय, जिला स्तरीय मेलों में लोक कलाकारों को ही प्राथमिकता दी जाए। वहीं कार्यक्रमों को न्यूज चैनलों के माध्यम से दिखाया जाए। नए कलाकारों के बारे में यही कहूंगा कि जिन कठिन परिस्थितियों से हम गुजरे हैं,कम से कम उन्हें वह मौका न मिले। हर स्टेज पर नए कलाकारों को प्रोमोट किया जाए, जैसे कि प्रदेश के अग्रणी ‘दिव्य हिमाचल’ द्वारा महप्रयास किए जा रहे हैं। चाहे वह गायन का क्षेत्र हो या नृत्य का या फिर अन्य प्रतिस्पधाएं, हर नए कलाकार को प्रोमोट किया जा रहा है। यह मात्र ‘दिव्य हिमाचल’ द्वारा ही किया जा रहा है।

ऐसा क्यों होता है कि हिमाचली आयोजनों में अपनी ही माटी का कलाकार भिखारी बन जाता है?

क्योंकि हिमाचल में होने वाले सभी आयोजनों व मेलों में प्रशासनिक अधिकारियों एवं राजनेताओं का हस्ताक्षेप चलता है। यही कारण है कि हिमाचली कलाकार मिखारी बनते हैं और बाहरी कलाकार लाखों लूटकर ले जाते हैं। यह कहावत है कि घर का जोगी जोगड़ा, बाहर का जोगी सिद्ध।

आपकी संगीत यात्रा मुंबई से लौट आई। कोई कटु अनुभव या यह सब तय था?

मैं संगीत सीखने ही मुंबई गया था, वह भी अपने गुरु श्री सोमदत्त कश्यप के आदेश पर। वर्ष 2001 में हिमाचली 28 नॉन स्टाप नाटियों का एलबम रिकार्डिंग के लिए मुंबई आया। वह टी-सीरीज में आया था । वह भी मेरे द्वारा व अन्य तीन कलाकार जो मुंबई के थे, द्वारा तैयार किया गया था। हिमाचल में उस एलबम की अपार सफलता के वाद टी-सीरिज कंपनी द्वारा ही मुझे हिमाचल का  कार्य सौंप दिया, जो अब तक लगातार जारी है।

कोई एक गीत जो केवल धीरज शर्मा के लिए ही बना और आपको संरक्षण देता रहा?

‘कजो भेडियां चरांदी धारा धारा दिल्ली शहर चल वो रेशमा’ यह गीत पूरी तरह से मेरे लिए बना है।

अदाबे अर्ज है, के विजेता बनने के बाद कोई परिवर्तन आया?

इस प्रतिस्पर्धा में विजेता के वाद मेरी दुनिया बदल गई। उसके बाद कई पंजाबी धारावाहियों के शीर्ष गीत गाए।

मौजूदा दौर की प्रतियोगिताओं को कैसे देखते हैं और इस लिहाज से हिमाचली प्रतिभा कहां ठहरती है?

मौजूदा दौर में अच्छे-अच्छे कलाकार उभर कर सामने आ रहे हैं। क्योंकि उन्हें कई सेटेलाइट चैनल व अग्रणी मीडिया ग्रुप ‘दिव्य हिमाचल’ मंच प्रदान कर रहे हैं, जो हमारे समय में नहीं होता था। हिमाचल प्रतिभा की स्थिति दयनीय है। कारण है कि उन्हें किसी भी तरह का संरक्षण प्राप्त नहीं  है। यही वजह है कि युवा कलाकार अपने हिमाचली  गीतों को तव्वजो न दे कर पजांबी हिंदी गानों को ही प्राथमिकता देते हैं।

किस हिमाचली कलाकार के भविष्य को सुनहरा मानते हैं?

ऐसा कोई नहीं। न ही भविष्य संवर सकता  है, जब तक कि उन्हें संरक्षण ही न मिलेगा।

चर्चित हिमाचली गायकों में आपका प्रिय और राष्ट्रीय स्तर पर किससे प्रभावित?

सोलन से कृतिका तनवर और राष्ट्रीय स्तर पर स्व. मोहम्मद रफी साहब का फैन हूं। हर मचं पर उनके गाए गानों को भी सुनाता हूं।

कोई तो वजह है कि संगीत और दिल एक दिशा में बहते हैं?

क्योंकि संगीत और  दिल दोनों ही  भावनाओं  के वश में हैं।

वास्तव में आपके लिए संगीत में डूबना कितना खास एहसास है?

संगीत में जब डूबता हूं तो मैं अपने आपको आराध्य देव से बिलकुल नजदीक पाता हूं। संगीत ही मुझे अपार शक्ति देता है। संगीत ही मेरा जीवन है यही मेरी साधना है।

कोई सपना…?

मेरा सपना है कि मैं संगीत एकेडमी खोलूं व ग्रामीण क्षेत्र में छुपी प्रतिभाओं को निकाल कर संगीत की दुनिया की तरफ ले चलूं।

दिल छूती पंक्तियां!

‘बदल जाए अगर माली, चमन होता नहीं खाली। बहारें फिर भी आती हैं बहारें फिर भी आएंगी’।


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