कागजों में ही बह रही परनुल कूहल

By: Oct 16th, 2017 12:05 am

पंचरुखी – क्षेत्र में अधिकांश लोग कृषि व्यवसाय से जुड़े हैं। उनकी फसलें कूहलों पर निर्भर हैं, परंतु सरकारी अपेक्षा एवं उदासीन रवैये के चलते किसान वर्ग बेहद परेशान हैं। क्षेत्र में आवा खड्ड से सैकड़ों कूहलें निकलती हैं, जिसमें अधिकांश खस्ताहाल में हैं। ये कूहलें क्षेत्र की हजारों कनाल भूमि को सिंचित करती हैं। सरकार ने लाखों रुपए कूहलों की मरम्मत पर खर्च किए, पर स्थिति जस की तस ही है, जो मरम्मत होती है, वह मात्र किसानों के आंसू पौंछने के काम आती है। विभाग जानते हुए भी भूमि को सिंचित करने  वाली कूहलों पर नजर-ए-इनायत नहीं कर रहा, जिससे कूहलें बदहाली के दौर से गुजर रही हैं। ऐसी ही आवा खड्ड से निकलने वाली पंचरुखी के लदोह, गदियाड़ा व सल्याणा आदि छह पंचायतों की हजारों कनाल भूमि को सिंचित करने वाली परनुल कूहल है, जो लगभग एक करोड़ से बनाई गई है और मात्र कागजों में कंप्लीट है, परंतु यह कूहल कई जगहों पर अधूरी है। कहीं-कहीं तो अस्तित्व मिट गया है। लोक निर्माण विभाग कार्यालय से आगे यह कूहल तीन भागों में बंट जाती है , लेकिन आज केवल एक हिस्सा नजर आता है, तो दूसरा भाग आधा तो है, जबकि आधा हिस्सा गायब है। तीसरा हिस्सा तो बुजुर्गों के ध्यान में ही है। बंद पड़े हिस्सों को या तो लोगों ने उखाड़ दिया या इसमें भवन खड़े हो गए हैं। बताते चलें कि उक्त कूहल का एक भाग एसबीआई बैंक के पीछे से गुजरता था, जो  नाले तक तो है, जबकि उससे आगे की खुदाई में दफन हो गया। यहां इससे संबंधित विभाग को इस बारे कोई खबर नहीं है। स्वार्थी लोग इस पर अतिक्रमण कर इसका अस्तित्व मिटा दिया। कुछ हिस्से में  मिट्टी व झाडि़यों का साम्राज्य है। 2013 में पूरी कूहल बनने के बाद एक बूंद पानी इसमें नहीं आया। बरसात के दिनों ही पानी होता है, वह भी लदोह की जमीन तक नहीं पहुंचता है। किसानों का कहना है कि कूहल के दुरुस्त न होने से उनकी भूमि बंजर होने की कगार पर है। उनका कहना है कि अगर शीघ्र कूहल न बनी तो वह सड़कों पर उतरने को मजबूर हो जाएंगे।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App