रिसर्च के लिए अहम है पैशन

By: Oct 4th, 2017 12:07 am

रिसर्च के लिए अहम है पैशनडा. डीडी गुप्ता

फार्माकोलॉजी विभाग आईजीएमसी, शिमला

क्लीनिकल रिसर्च में करियर से संबंधित विस्तृत जानकारी प्राप्त करने के लिए हमने डीडी गुप्ता से बातचीत की। प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश…

क्लीनिकल रिसर्च में करियर के क्या स्कोप हैं?

इस फील्ड में करियर बनाने की अनेक संभावनाएं हैं। दवा बाजार एक ऐसा बाजार है, जो हमेशा चलता रहता है। बीमारियों से लड़ने के लिए हमेशा नई से नई दवाओं की खोज होती रहती है। ऐसे में युवाओं के लिए इस फील्ड में देश ही नहीं, विदेशों में भी बेहतरीन करियर की संभावना है।

इस करियर के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता क्या है?

क्लीनिकल रिसर्च के कोर्स में एंट्री के लिए दस जमा दो मेडिकल होना जरूरी है। इसके अलावा डी  फ ार्मा, बी फ ार्मा, एम फ ार्मा आदि के स्टूडेंट्स भी इस कोर्स में प्रवेश ले सकते हैं। कई प्रतिष्ठित संस्थानों से क्लीनिकल रिसर्च में डिप्लोमा व पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा आदि किया जा सकता है।

रोजगार की संभावनाएं किन क्षेत्रों में उपलब्ध हैं?

सरकारी क्षेत्र के अलावा निजी क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। कई अंतरराष्ट्रीय दवा निर्माता कंपनियों में रोजगार हमेशा उपलब्ध रहता है। इनमें सिपला, रेनबैक्सी, फ ाइजर, जॉनसन एंड जॉनसन, असेंचर, एक्सेल लाइफ  इंश्योरेंस, पैनेसिया बायोटेक, जुबलिएंट, परसिस्टेंट जैसी बड़ी कंपनियां इस क्षेत्र में मौजूद हैं। एमबीए फ ार्मा इस उद्योग के लिए विशेष कोर्स है। इसमें फार्मास्यूटिकल मैनेजमेंट शामिल है।

क्या हिमाचल में संबद्ध पाठ्यक्रम उपलब्ध है?

नहीं, हिमाचल मे अभी यह पाठ्यक्रम नहीं हैं, लेकिन बाहरी राज्यों में यह कोर्स उपलब्ध है। इसमें नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ  आयुर्वेदिक फ ार्मास्यूटिकल रिसर्च पटियाला, पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीच्यूट ऑफ  मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च चंडीगढ़ और दिल्ली में कुछ संस्थान हैं।

इस फील्ड में कितनी आय होती है?

आजकल क्लीनिकल रिसर्च के क्षेत्र में रोजगार की बेहतर संभावनाएं हैं और इस क्षेत्र में योग्य प्रोफेशनल्ज की मांग में भी वृद्धि हुई है। क्लीनिकल रिसर्च के क्षेत्र में एक फ्रेशर का वेतनमान 15000 या इससे अधिक प्रतिमाह हो सकता है। यदि आपके पास मास्टर डिग्री है, तो वेतनमान दोगुना हो जाता है। निजी कंपनियों में अनुभव मायने रखता है और इस आधार पर आप आकर्षक वेतनमान प्राप्त कर सकते हैं।

युवाओं के लिए क्या चुनौतियां हैं?

क्लीनिक रिसर्च बेहद जिम्मेदारी का काम है। इन रिसर्च के आधार पर ही तय किया जाता है कि कोई दवा किस बीमारी के लिए कितनी सटीक बैठती है और इनसानों पर इसका प्रयोग होना चाहिए या नहीं। ऐसे में यह काम जिम्मेदारी और डिवोशन का काम है।

जो युवा क्लीनिकल रिसर्च में करियर बनाना चाहते हैं, उनके लिए कोई संदेश?

रिसर्च के लिए पैशन होना जरूरी है। अगर युवाओं में किसी चीज को खोजने की लत है और वह एक्सपेरीमेंट करने की इच्छा रखता है तो उसके लिए यह बेहतर फील्ड है, लेकिन इस काम में होश और जोश दोनों का संतुलन बेहद जरूरी है।

-अंजना ठाकुर, शिमला


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