कागजी कार्रवाई में उलझा कोलडैम प्रोजेक्ट
डीपीआर के संशोधन में लग रहा वक्त, शिमला में हो रहा नई योजना का इंतजार
शिमला – शिमला को पेयजल व सीवरेज कनेक्टिवटी की सबसे बड़ी प्रस्तावित कोलडैम परियोजना अब तक कागजी कार्रवाई में ही उलझी हुई है। परियोजना के लिए जो डीपीआर यहां के अधिकारियों ने बनाई थी, उसे विश्व बैंक ने मंजूर नहीं किया, बल्कि वह खुद यहां नए सिरे से डीपीआर बना रहा है। इसके लिए विशेष तौर पर नियुक्तियां की गई हैं, परंतु कई महीने बीत जाने पर अब तक कोई नतीजा सामने आता नहीं दिख रहा। शहर को कोलडैम जैसी बहुप्रतिक्षित योजना की बेहद जरूरत है। यहां लोग भी इसे लेकर खूब चर्चा कर रहे हैं। उनका कहना है कि जब कागज तैयार करने में ही कई साल लग जाएंगे, तो परियोजना कब तक तैयार होगी। तब तक तो शहर में पानी की स्थिति अधिक विकट हो जाएगी। सूत्रों के अनुसार अभी पुरानी डीपीआर में संशोधन कर नई डीपीआर बन रही है और वर्ल्ड बैंक अपने स्तर पर शिमला में सर्वेक्षण कर रहा है। यह सर्वे माइक्रो लेवल तक किया जा रहा है, जिसमें यहां पानी की जरूरत का पता चलेगा कि हर घर में कितने पानी की जरूरत रहती है और कोलडैम से कितनी सप्लाई रोजाना यहां होनी चाहिए। हाल ही में विश्व बैंक के अधिकारियों ने यहां आईपीएच अफसरों के साथ बैठक कर अब तक हुए कार्यों पर चर्चा की। यहां विस्तृत प्रारूप पर चर्चा की गई, जिसके बाद उम्मीद थी कि प्रोजेक्ट को जल्द मंजूरी मिल जाएगी। अब बताया यह जा रहा है कि इसकी कागजी कार्रवाई पूरी होने में ही अगले साल मार्च तक का समय लग जाएगा। इसके बाद मामला विश्व बैंक को जाएगा और वहां से इसकी नई डीपीआर को मंजूरी मिलेगी। यानी अगला साल भी इस कागजी कार्रवाई में ही निकल जाएगा, जिसके बाद नतीजा क्या निकलेगा, यह समय बताएगा। शिमला में मौजूदा समय में पानी की किल्लत पेश आ रही है। अभी भी यहां पानी की राशनिंग पूरी तरह खत्म नहीं हो सकी है। हालांकि इसमें कुछ सुधार की बात कही जा रही है परंतु उतनी मात्रा में पानी उपलब्ध नहीं है। दो साल से यहां राशनिंग का ही खेल चल रहा है। ऐसे में कोलडैम जैसी योजना बेहद महत्त्वपूर्ण है।
फिर सीवरेज सिस्टम भी बदलेगा
शहर को मौजूदा समय में गुम्मा, चुरट, अश्वनी आदि खड्डों से पानी आता है, जो कि पर्याप्त नहीं है। 43 एमएलडी पानी की सप्लाई शिमला को रोजाना की जाती है, लेकिन यह पूरा नहीं पड़ रहा। पानी की सप्लाई में सबसे बड़ी दिक्कत पेयजल लाइनों की भी है, जिससे पानी का रिसाव हो रहा है। कोलडैम प्रोजेक्ट की मंजूरी से जहां पुराना पूरा पेयजल ढांचा बदला जा सकेगा, वहीं सीवरेज सिस्टम बदलना भी प्रस्तावित है।
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