कुलदीप…जनता के हर वादा करूंगा पूरा

By: Nov 8th, 2017 12:05 am

कुलदीप कुमार

लोकतंत्र में सियासत की परिभाषा ही यह है कि कोई भी प्रतिनिधि चुना जाता है तो वह जनता का, जनता के लिए, जनता द्वारा ही चुना जाता है। मगर ऐसे भी सियासतदानों की कमी नहीं जो जनता को धकेलने की वस्तु समझते हैं। ऐसे में प्रश्न उठता है कि क्या ये नुमाइंदे लोकतंत्र के मूल में विश्वास रखते हैं भी या नहीं। लोकतंत्र के इस मेले में हर कोई सिर्फ जीतना चाहता है। बेशक जीतें, मगर कुछ प्रश्न जो जनता जानना चाहती है। उनका जवाब भी इन नुमाइंदों से ‘दिव्य हिमाचल’ ने पूछा। चिंतपूर्णी विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी कुलदीप कुमार  ने क्या कहा… देखें सुरेंद्र शर्मा द्वारा पूछे गए पांच सवाल के जवाब में

प्रश्न- आपके लिए राजनीति क्या है।

उत्तर-  मेरे लिए राजनीति जनसेवा है। जनसेवा के लिए राजनीति ही एक माध्यम है।

प्रश्न- चुनावी जीत का मतलब क्या है।

उत्तर- चुनावी जीत का मतलब लोगों से किए गए वादों को पूरा करने के साथ ही उनके हर सुख-दुख में शामिल होना है।

प्रश्न- जीत की खुशी या हार का सबक कौन सा ज्यादा मायने रखता है।

उत्तर-  मैंने जीत भी देखी है और हार भी। यह दोनों चीजें जिंदगी का एक हिस्सा हैं। अगर जीत गए तो जनता की ज्यादा से ज्यादा सेवा होगी। पराजय का मतलब इलाके के विकास कार्य जनता को पंसद नहीं है।

प्रश्न- राजनीति में आना एक हादसा है या सीढ़ी थी। जो चढ़कर आए हैं।

उत्तर-  हमारा परिवार शुरू से ही राजनीति में जुड़ा होने के कारण मुझे भी सीढ़ी दर सीढ़ी पार्टी व लोगों की सेवा करने का जो मौका मिला है। उसी का परिणाम है कि आज यहां तक पहुंचा हूं।

प्रश्न- जीत अगर सुनिश्चित होती है तो आपके पांच वादे क्या हैं।

उत्तर- 1. पेयजल की कई स्कीमें जो कि अभी अधूरी चल रही हैं। उनका समाधान कर लोगों की पीने के पानी व सिंचाई समस्या को दूर करना।

  1. क्षेत्र में सड़कों की दयनीय स्थिति को सुधारा जाएगा।
  2. युवाओं को ज्यादा से ज्यादा रोजगार के साधन जुटाने की कोशिश की जाएगी।
  3. नालों के पानी को बांध बनाकर उस पानी से किसानों, बागबानों के खेतों को सिंचाई सुविधा प्रदान की जाएगी।
  4. क्षेत्र की प्रत्येक पंचायत में जिम व खेलों की सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।

संघर्ष करके इस मुकाम तक पहुंचा हूं

बलवीर चौधरी

 लोकतंत्र में सियासत की परिभाषा ही यह है कि कोई भी प्रतिनिधि चुना जाता है तो वह जनता का, जनता के लिए, जनता द्वारा ही चुना जाता है। मगर ऐसे भी सियासतदानों की कमी नहीं जो जनता को धकेलने की वस्तु समझते हैं। ऐसे में प्रश्न उठता है कि क्या ये नुमाइंदे लोकतंत्र के मूल में विश्वास रखते हैं भी या नहीं। लोकतंत्र के इस मेले में हर कोई सिर्फ जीतना चाहता है। बेशक जीतें, मगर कुछ प्रश्न जो जनता जानना चाहती है। उनका जवाब भी इन नुमाइंदों से ‘दिव्य हिमाचल’ ने पूछा। चिंतपूर्णी  विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी बलवीर चौधरी ने क्या कहा… देखें सुरेंद्र शर्मा द्वारा पूछे गए पांच सवाल के जवाब में

प्रश्न- आपके लिए राजनीति क्या है।

उत्तर- मेरे लिए राजनीति समाज सेवा है।

प्रश्न- चुनावी जीत का मतलब क्या है।

उत्तर- मेरे लिए चुनावी जीत का मतलब सरकारी योजनाओं, क्रियाकलापों गरीबों का उत्थान करना तथ विकास को जनजन तक पहुंचाना है।

प्रश्न- जीत की खुशी या हार का सबसे कौन सा ज्यादा मायने रखता है।

उत्तर- दोनों अनुभव मेरे लिए एक सम्मान हैं। मैनें जीत करके भी और हार के भी राजनीति क्षेत्र में जनता जनार्दन के साथ जुड़े रहने की मसाल पेश की है। यही कारण है कि आज उन्हें चिंतपूर्णी विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस प्रत्याशी के मुकाबले पार स्नेह व समर्थन प्राप्त हो रहा है।

प्रश्न- राजनीति में आना एक हादसा है या सीढ़ी थी। जो चढ़कर आए हैं।

उत्तर- कालेज के समय से ही राजनीति के क्षेत्र में विभिन्न पदों पर जिम्मेदारियों का निवारण करते हुए यहां तक पहुंचा हूं। जाहिर है कि सीढ़ी दर सीढ़ी चढ़कर लोगों की सेवा करते हुए राजनीति में पहुंचा हूं।

प्रश्न- जीत अगर सुनिश्चित होती है तो आपके पांच वादे क्या हैं।

उत्तर- 1. कानून का शासन बहाल करना।

  1. पूरे विधानसभा क्षेत्र का सत्तत विकास करना।
  2. ड्रग माफिया पर नकेल कसना।
  3. बेरोजगारी दूर करने के लिए रोजगार के लिए नए-नए साधन जुटाना।
  4. विधानसभा क्षेत्र में सिंचाई साधनों को शुरूकर किसानों-बागवानों की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करना।


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