चुनावी थकान के बाद अब सैर-सपाटा
नेताओं पर न तो तबादलों का दबाव, न ही शिलान्यास-उद्घाटनों का दौर
शिमला—विधानसभा चुनावों में थका देने वाले प्रचार के बाद अब कई नेता जहां सैर-सपाटे पर निकल चुके हैं, वहीं ज्यादातर अभी हिमाचल में ही हैं। कार्यकर्ताओं से मिलने-मिलाने का दौर अभी भी थमा नहीं है। चुनाव नतीजों से पहले प्रत्याशी हार-जीत के आकलन में जुटे हैं, वहीं वरिष्ठ नेता प्रादेशिक जीत-हार के आंकड़े बिठा रहे हैं। भाजपा के साथ-साथ कांग्रेस के अपने समीकरण हैं। कांग्रेस जीएसटी, महंगाई को अपने दावों से जोड़ रही है, वहीं भाजपा के नेता पांच सालों में बड़े नकारात्मक वोट, भर्तियों के साथ-साथ अन्य मुद्दों को अपने दावों पर रखकर जमा-जोड़ बिठा रही है। शिमला से लेकर ऊना तक अब सभी गलियां वीरान हैं, कहीं भी प्रचार का शोरगुल नहीं है। कुल मिलाकर हिमाचल की सियासी फिजाएं बढ़ती ठंडक की तरह शांत दिख रही हैं। सभी को 18 दिसंबर का इंतजार है। होगा क्या, यह किसे भी मालूम नहीं। बस दावों व प्रतिदावों का दौर चला है। माकपा ने इस बार 14 प्रत्याशी उतारे हैं। इसके नेता हिमाचल में तीसरे मोर्चे के उदय का दावा कर रहे हैं। यह भी कहा जा रहा है कि सत्ता संतुलन उनके हाथ होगा।
सचिवालय-कार्यालय भी सूने
हिमाचल में मतदान के बाद से ही सचिवालय से लेकर सरकारी कार्यालयों में सन्नाटा पसरा है। अधिकारी रूटीन की फाइलें तो देख रहे हैं, मगर न तो कोई नई योजनाएं उनके सामने हैं और न ही पुरानी चली योजनाओं को तेजी से आगे बढ़ाने का दबाव।
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