‘तेरा मेरा प्यार अडि़ए बचपनो रा’

By: Nov 5th, 2017 12:12 am

अंतरराष्ट्रीय रेणुकाजी मेले की पांचवीं सांस्कृतिक संध्या में कलाकारों ने बिखेरे जलवे

 ददाहू, श्रीरेणुकाजी— अंतरराष्ट्रीय रेणुकाजी मेले की पांचवी सांस्कृतिक संध्या में हिमाचल के लोक कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियों से दर्शकों का मनोरंजन किया। पांचवी सांस्कृतिक संध्या में छोटे-बड़े लगभग 36 कलाकारों ने रेणु मंच से प्रस्तुति दी। वहीं स्टार नाइट में हिमाचल की सुप्रसिद्ध कलाकार शारदा शर्मा, विनोद रांटा, राजीव राजा, वायस ऑफ चंडीगढ़ व वॉयस ऑफ इंडिया फेम हिमांशी तनवर ने समां बांधा, जबकि जौंसारी कलाकारों ने जौंसार की संस्कृति का बेहद आकर्षक तरीके से प्रदर्शन कर वाहवाही लूटी। जौंसारी कलाकार भगत सिंह पुंडीर एवं जय महासू शिव कला मंच जौंसार बाबर त्यूणी सुखेड के कलाकारों ने सिर पर चाय बनाकर जब नृत्य पेश किया तो तालियों से दर्शकों ने इस कला को सराहा। पांचवी सांस्कृतिक संध्या में एडीसी सिरमौर हरबंस नेगी मुख्यातिथि के तौर पर पधारे, जबकि लोक संपर्क विभाग के डिप्टी डायरेक्टर मेला राम शर्मा विशेष अतिथि के तौर पर पहुंचे, जिन्हें रेणुका विकास बोर्ड की ओर से शॉल, टोपी, डांगरा देकर सम्मानित किया गया। सांस्कृतिक संध्या में रोहड़ू के नाटे कद के कलाकार भविंद्र सिंह भी आकर्षण का केंद्र रहे। चार फुट के कद वाले इस कलाकार ने हिमाचली गानों से मनोरंजन किया, जबकि लोक संपर्क विभाग के ठियोग के कलाकार बिमला चौहान ने रंग डालना चूना हो, राजीव राजा ने सहिबा री बीबीये हो, लच्छी लच्छी लोक गलांदे पेश कर खूब वाहवाही लूटी। आकाशवाणी शिमला के कलाकार किशन वर्मा ने इस दौरान तेरा मेरा प्यार अडि़ए बचपनो रा, कांडा चुटा कुंबिरो रा रे पेश कर युवाओं को नाचने पर मजबूर किया, जबकि विनोद रांटा ने बबलीये केईनी सुणदी मोबाइलो पेशकर वाहवाही पाई। उन्होंने एक के बाद एक दर्जन भर पहाड़ी तरानों से दर्शकों को खूब नचाया। वॉयस ऑफ इंडिया फेम की हिमांशी तनवर ने माही वे मोहब्बतां सच्चियां वे, तुझे लागे ना नजरिया, खाई के पान बनारस वाला इत्यादि फास्ट बीट गानों से युवाओं को झुमाकर रख दिया। हिमांशी ने एडीसी सिरमौर श्री नेगी के पास पंडाल में पहुंचकर उन्हें भी गाने के लिए आग्रह किया। इस दौरान सोलन के सोनू का अच्छा चलता हूं दुआओं में याद रखना ने खूब वाहवाही लूटी, जबकि शशी चौहान की शायरी भरी एंकरिंग ने खूब तालियां व सीटियां बटोरी।

रेणुका मेले में डीआरडीए की प्रदर्शनी सबको भायी

ददाहू, श्रीरेणुकाजी— मां-पुत्र के पावन मिलन स्वरूप सदियों से आयोजित होने वाला अंतरराष्ट्रीय श्रीरेणुकाजी मेला 2017 का शनिवार को महामहिम राज्यपाल आचार्य देवव्रत द्वारा भगवान परशुराम की देव पालकियों को विदाई देकर समापन हो गया। राज्यपाल ने देव पालकियों को उठाकर अगले वर्ष फिर निमंत्रण के साथ देव विदायगी की। इससे पूर्व महामहिम ने भगवान परशुराम प्राचीन देवठी में स्वयं उच्चरित हवन यज्ञ में भाग लेकर पूर्णाहुति डाली। इसके बाद राज्यपाल ने विभिन्न विभागों की प्रदर्शनियों का अवलोकन कर उनके प्रयास सराहे। कृषि विभाग की प्रदर्शनी में राज्यपाल ने कहा कि पेस्टिसाइड उत्पादों का कम प्रयोग किया जाए। मेले के समापन से पूर्व राज्यपाल ने राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में प्रथम विजेता स्कूल भराड़ी के बच्चों की सिरमौरी नाटी की सराहना करते हुए इनके लिए भविष्य में स्तरीय सुविधा देने की बात कही। राज्यपाल ने इस दौरान अंतरराष्ट्रीय रेणुकाजी मेला 2017 में उम्दा प्रदर्शन करने वाली प्रथम स्थान पर रही डीआरडीए की प्रदर्शनी, दूसरे स्थान पर आयुर्वेदिक विभाग तथा तीसरे स्थान पर शिक्षा विभाग की प्रदर्शनी को पुरस्कार से नवाजा। इस अवसर पर राज्यपाल ने रेणुकाजी मेले के समापन पर अपने संदेश में कहा कि भगवान परशुराम की तरह आज्ञाकारी पुत्र बनें। उन्होंने कहा कि समाज में वैज्ञानिक दृष्टिकोण से जीवन जीएं तथा अंधविश्वास और पाखंड से बचे। राज्यपाल ने प्रदेश को रिगमुजत, स्वच्छ एवं बेटियों को बचाने एवं पढ़ाने के साथ स्वच्छता अपनाने का भी संदेश दिया।

35 हजार ने लगाई आस्था की डुबकी

पवित्र झील श्रीरेणुकाजी में स्नान के लिए भक्तों का लगा तांता

ददाहू, श्रीरेणुकाजी— अंतरराष्ट्रीय रेणुकाजी मेले में शनिवार को कार्तिक पूर्णिमा महात्म के चलते तीर्थ श्रीरेणुकाजी के पावन झील में स्नान ध्यान और पूजा-अर्चना के लिए श्रद्धालुओं का तांता लग गया। कार्तिक पूर्णिमा को मेलार्थियों की भी अपार भीड मेले में जुटी, जिससे मेले में आए सैकड़ों व्यवसायियों के चेहरे पर भी खुशी की लहर दौड़ गई। कार्तिक पूर्णिमा में अन्य दिनों से अधिक खरीददारी को भी मेले के अंतिम दिन होने के चलते भीड़ रही। पवित्र झील श्रीरेणुकाजी में सुबह से ही स्नान व आस्था की डुबकी लगाने के लिए तांता लग गया। कार्तिक पूर्णिमा को तकरीबन 35 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। भगवान परशुराम और माता रेणुका के मंदिरों में माथा टेका, वहीं रेणुका झील की परिक्रमा कर श्रद्धा भेंट अर्पित की गई। मेला बाजार में इस दिन तिल धरने की भी जगह नहीं बची। गौर हो कि कार्तिक पूर्णिमा का क्षेत्र में खास महत्त्व है तथा श्रद्धालु व जिला सिरमौर से लोग इस दिन पावन झील में स्नान कर अन्न दान कर मोक्ष की कामना करते हैं। मदिरों व आश्रमों में इस दिन भजन कीर्तन और भंडारों के दौर चले।


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