दवा कंपनियों पर केंद्र की नजर

By: Nov 12th, 2017 12:01 am

बीबीएन— दवा कंपनियों में स्तरीय दवाओं के निर्माण को बढ़ावा देने और प्रयोगशालाओं के कामकाज पर पैनी नजर रखने के लिए केंद्र सरकार औचक निरीक्षण करने जा रही है। केंद्र सरकार ने यह कदम दवाओं की गुणवत्ता पर निगरानी रखने के तंत्र को प्रभावी बनाने के मकसद से उठाया है। इसके लिए ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने एक टीम का गठन किया है, जो कभी भी किसी भी लैब का निरीक्षण कर सकती है। इसका मकसद देश की दवा कंपनियों में स्तरीय दवाओं के निर्माण को बढ़ावा देना और लैब्स के कामकाज पर पैनी नजर रखना है। उल्लेखनीय है कि कुछ सालों में देश-विदेश में भी भारतीय दवाओं पर उंगली उठने के बाद सरकार ने दवाओं की गुणवत्ता के मामले में समझौता न करने का फैसला लिया है। सरकार ने सभी कंपनियों से कहा है कि वे दवा निर्माण मामले में विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइडलाइंस का प्राथमिकता के आधार पर पालन करें। दवाओं के लिए कच्चा माल जुटाने से लेकर दवा निर्माण के हर पहलू पर सत निगरानी रखें। देश में दवाओं की जांच के लिए 228 लैब्स को मान्यता दी गई है, इस सूची में हिमाचल की पांच लैब्स शामिल हैं । निरीक्षण की इस कवायद को राज्यों की नियामक संस्थाओं के सहयोग से पूरा करेगी। जेनेरिक दवा लिखने को अनिवार्य बनाए जाने की कदमताल के बीच केंद्र सरकार इन दवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने में भी जुटी है। सरकार ने ड्रग एवं कॉस्मेटिक्स एक्ट में एक महत्त्वपूर्ण संशोधन करने का निर्णय भी लिया है, जिसमें जेनेरिक दवाओं के लिए बायो इक्वालेंस टेस्ट करना अनिवार्य करने का प्रस्ताव है। टेस्ट में फेल होने वाली दवाओं को बाजार में बिकने की अनुमति नहीं होगी। इसके तहत जेनेरिक दवा बनाने वाली कंपनी को साबित करना होगा कि उसकी दवा ब्रांडेड जेनेरिक दवा के समान ही प्रभावी है।

टेस्ट की कहीं कोई व्यवस्था नहीं

देश में दस हजार से अधिक कंपनियां जेनेरिक दवाएं बनाती हैं, पर ऐसे टेस्ट की कोई व्यवस्था नहीं है, जिससे यह पता चले कि किसी ब्रांडेड और जेनेरिक दवा के प्रभाव और दुष्प्रभाव समान हैं या नहीं। ऐसे में लैब्स की जिम्मेदारी भी बढ़ेगी। लैब्स की चैकिंग के लिए ड्रग कंट्रोलर जनरल ने बनाई कमेट


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