पंचरुखी में आधे-अधूरे भवनों की यह है कहानी

By: Nov 30th, 2017 12:05 am

 पंचरुखी — क्षेत्र में कई आधे-अधूरे भवन तो ऐसे हैं, जो पंचायत व सरकार की लापरवाही को दर्शा रहे हैं और  राह देख रहे हैं कि कब सरकार की इन पर नजर-ए-इनायत होगी। सरकार के लाखों रुपए इन आधे-अधूरे कार्यों के चलते मिट्टी में मिलते नजर आ रहे हैं। पंचायतों को सरकार से जो पैसा उपलब्ध हुआ था, उससे आधा-अधूरा ही कार्य हुआ। आगे बजट नहीं मिला। बिडंवना है कि अगर पैसे कम थे, तो कार्य किया क्यों। लाखों रुपए यूं ही व्यर्थ क्यों किए गए। इसी नीति के चलते दर्जनों भवन आज अपनी दशा बयां कर रहे  हैं। भवन को झाडि़यों ने इस कद्र छा लिया है कि झाडि़यां भवन को अपनी आगोश में लेने लगी है, परंतु पंचायत व सरकार इससे बेखबर है। इसी कड़ी में रक्कड़ पंचायत के वार्ड तीन में  आधा-अधूरा सामुदायिक भवन पड़ा है व पैसा नहीं है कि इस भवन को पूरा किया जाए। लगभग पांच लाख की लागत से बने इस भवन की दीवारें खड़ी हैं, लेकिन भवन में न फर्श व न ही प्लास्टर हो पाया। आलम यह है कि भवन है पर इस्तेमाल के योग्य नहीं है। बदेहड़ पंचायत में वर्षों से महिला मंडल भवन की दीवारें मुंह चिड़ा रही हैं। वर्षों बीत गया, पर भवन को लैंटल नसीब नहीं हुआ। बस झाडि़यों ने चारों ओर कब्जा जमाए रखा है,  जबकि  पंचरुखी में पर्यटन   विभाग का भवन नशेडि़यों व पशुओं की  शरणस्थली बना हुआ है। झाडि़यों का साम्राज्य यह बना हुआ है। लाखों का भवन खंडहर में तबदिल हो रहा है, पर परवाह किसी को नहीं है। ऐसे दर्जनों भवन है, जो सरकार, विभाग व पंचायतों की लापरवाही का शिकार है और लाखों सरकारी पैसा मिट्टी में मिलता जा रहा है। संबंधित विभाग व सरकार भी कोई सुध नहीं ले रही है। लोगों की मांग है कि ऐसे भवनों की जांच होनी चाहिए और लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ  कार्रवाई की जानी चाहिए। बहरहाल स्थिति यह है कि बिना लैंटल के भवनों की ईंटें गायब हो रही है, तो लैंटल वाले भवन नशेडि़यों के स्थल बने हुए हैं।


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