बहन जी! नौ तरीका जो ख्याल रखयां

By: Nov 7th, 2017 12:05 am

बिलासपुर —  जनसभाओं और रैलियों के माध्यम से वोट  मांगना अब पुरानी बातें हो गई हैं। अब प्रत्याशी गीत-संगीत के माध्यम से अपनी उपलब्धियों का व्याख्यान कर मतदाताओं को रिझाने में लगे हुए हैं। इन विधानसभा चुनावों में पहाड़ी व हिंदी गीतों की धुनों पर हिमाचल के गायक कलाकार भाजपा, कांग्रेस व अन्य प्रत्याशियों का प्रचार कर रहे हैं। हालांकि बीते विधानसभा चुनावों में भी कुछ प्रत्याशियों द्वारा यह तरीका अपनाया गया था, लेकिन इस बार अधिकांश विधानसभा क्षेत्रों में गीत-संगीत का यह माध्यम विभिन्न प्रत्याशियों के चुनावी घोषणापत्र के साथ ही उनकी पूर्व की उपलब्धियों को बड़े ही शानदार तरीके से प्रस्तुत कर रहा है। इसमें भी अहम यह है कि इन गीतों के माध्यम से उन गायक कलाकारों को भी अपनी आवाज का जादू बिखेरने का मौका मिला है, जो प्रदेश भर में आयोजित होनी वाली सांस्कृतिक संध्याओं में यदाकदा ही मंच पर दिखते हैं। बिलासपुर के चारों विधानसभा क्षेत्रों के साथ ही प्रदेश भर में हिमाचल के गायक कलाकार गीतों के माध्यम से प्रत्याशियों का प्रचार करने में डटे हुए हैं। हालांकि इनमें कुछ ऐसे पंजाबी गायक भी हैं, जिन्होंने कुछ पंजाबी चुनावी गीतों के जरीए प्रत्याशियों का प्रचार किया है, लेकिन पहाड़ी क्षेत्र होने के चलते अधिकतर प्रत्याशी पहाड़ी व हिंदी गीतों का ही सहारा ले रहे हैं। गीत-संगीत का यह प्रचार उन क्षेत्रों में किया जा रहा है जहां तक प्रत्याशी अपने व्यस्त चुनावी प्रचार के दौरान पहुंच नहीं पा रहे हैं। अेकेले बिलासपुर जिला की ही बात की जाए तो यहां पर बिलासपुर सदर, घुमारवीं, झंडूता व श्रीनयनादेवी विस क्षेत्रों में गीतों के माध्यम से ही प्रत्याशियों का प्रचार किया जा रहा है। गीत-संगीत के द्वारा प्रचार करने की यह परंपरा इस बार के चुनावों में ज्यादा देखने का मिल रही हैं। प्रचार के इस माध्यम ने उन कलाकारों को भी आर्थिक राहत प्रदान की है जिन्हें न तो कभी उचित मंच ही मिल पाया है और न ही उनके प्रदर्शन के अनुरूप मेहनताना। प्रचार-प्रसार के गीतों को गाने के लिए भी स्थानीय भाषाओं पर ही जोर दिया गया है। मसलन बिलासपुर में इन गीतों को कहलूरी भाषा में गाया गया है, ताकि स्थानीय लोगों को यह तुरंत समझ में आए। पहाड़ी के इन गीतों को गाने के लिए लच्छी-लच्छी लोक गलांदे, बसा च आई तेरी याद फोटो रईगा तेरे कमरे के साथ ही पंजाबी गीत लड्डु खाणे बणिए दे और हिंदी गीत सुनो गौर से दुनिया वालों की धुनों पर गाए गए हैं। यही नहीं बिलासपुर में कुछ महिलाओं द्वारा ठेठ कहलूरी भाषा में बड़े ही साधारण तरीके से और बिना म्यूजिक के गाए गीत भी चुनावी प्रचार में छाए हुए हैं।


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